जगन्नाथपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना बीमारियों का केंद्र, इलाज के बजाय फैल रही गंदगी
ccchaibasa ः जगन्नाथपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों दोहरी वजहों से सुर्खियों में है। एक ओर फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर अस्पताल की बदहाल सफाई व्यवस्था ने स्वास्थ्य सेवाओं पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बुधवार को अस्पताल के वार्ड में मलेरिया और टाइफाइड से पीड़ित 16 मरीज़ का इलाज चलरही है। लेकिन अस्पताल की हालत देखकर कहना मुश्किल है कि यह स्वास्थ्य केंद्र है या बीमारियों का नया अड्डा। जगह-जगह गंदगी, फैला हुआ कूड़ा, बहती बदबूदार नालियां और मच्छरों का डेरा – ये सब हालात यहां आम हो चुके हैं।
वार्ड के बाहर फर्श और बेंच पर बिखरा भोजन, मिट्टी से सने धब्बे और वार्ड के बेड निचे एवं वार्ड के फर्श पर कचरे, और चारों ओर फैली अव्यवस्था मरीजों की हालत को और बिगाड़ने को तैयार है। सबसे चिंताजनक स्थिति अस्पताल के पिछले हिस्से की है, जहां झाड़ियों और फैले हुए चिकित्सा कचरे के ढेर ने संक्रमण और मच्छरों को पनपने का पूरा मौका दे दिया है।
लोगों का कहना है कि यहां नियमित रूप से सफाई नहीं होती है और न ही चिकित्सा प्रभारी स्थिति पर ध्यान देते हैं। इलाज कराने आए एक मरीज ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “लाचारी में आना पड़ता है। अस्पताल में जितनी गंदगी है, उससे बीमारी और बढ़ सकती है। ऐसा लगता है जैसे बीमारी से इलाज कराने नहीं, बल्कि उसे बढ़ाने आए हैं।
स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली के चलते मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड जैसी संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। आश्चर्यजनक बात यह है कि इन हालातों के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं।
यहां प्रभारी चिकित्सक को उपस्थित होना चाहिए परंतु वह कभी-कभी ही स्वास्थ्य केंद्र में नजर आते हैं ज्यादातर वह बाहर ही रहते हैं ना तो स्वास्थ्य केंद्र का जायजा लेते हैं ऐसा लगता है उन्हें स्वास्थ्य केंद्र से मतलब ही नहीं है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तब जागेगा जब हालात पूरी तरह बेकाबू हो जाएंगे? ज़रूरत है कि इस ओर तत्काल कार्रवाई की जाए और स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति को सुधारा जाए, ताकि यह वास्तव में स्वास्थ्य का केंद्र बन सके, न कि बीमारियों का स्रोत।