MAGHE PARB; माघे मिलन समारोह में जगन्नाथपुर विधायक सोनाराम सिंकू नें किया शिरकत - Video

कहा माघे पर्व मिलन आदिवासी संस्कृति समाज की पारंपरिक पहचान व एकता का प्रतीक है

माघे पर्व आदिवासी बहुल क्षेत्र में कई दिनों तक चलता है, इस मौके पर सामूहिक रूप से समाज के लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा एवं वाद्य यंत्रों के धुन पर नृत्य करते है,

कहा कि आदिवासी संस्कृति की यह अनूठी परंपरा है: विधायक सोनाराम सिंकु 


चाईबासा/संतोष वर्मा: सोमबार को मनोहरपुर के उरकिया गांव स्थित आदिवासी टोली में सोमवार को ग्रामीणों एवं माघे पर्व के अध्यक्ष कुलदीप कुंडलना द्वारा आयोजित माघे मिलन समारोह में जगन्नाथपुर विधायक सोनाराम सिंकू अपने कांग्रेस प्रखण्ड अध्यक्ष जगन्नाथपुर ललित दोराईबुरू, मनोहरपुर प्रखण्ड अध्यक्ष सीताराम गोप, मनोहरपुर जिला परिषद् सदस्य भाग-1 जयप्रकाश महतो के संग समारोह में शिरकत किया. साथ ही ग्रामीणों के साथ ढोल - नगाड़ों की धुन पर जमकर नृत्य किए. 

वहीं माघे मिलन समारोह में उपस्थित लोगों को विधायक सोनाराम सिंकू ने पर्व की बधाई व शुभकामनायें दी. उन्होंने कहा कि माघे पर्व मिलन आदिवासी संस्कृति समाज की पारंपरिक पहचान व एकता का प्रतीक है. माघे पर्व आदिवासी बहुल क्षेत्र में कई दिनों तक चलता है.


इस मौके पर सामूहिक रूप से समाज के लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा एवं वाद्य यंत्रों के धुन पर नृत्य करते है. कहा कि आदिवासी संस्कृति की यह अनूठी परंपरा है. हमें अपनी परंपराओं व विरासत को बचाने की ज़रूरत है. इस त्योहार में लोग नृत्य और झूमने के लिए नशापान करते हैं. परंतु इसे लड़ाई -झगड़े के बजाय पर्व को आपसी सौहार्दपूर्ण ढंग से मनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. अन्यथा हमारी समाजिक एकता में दरार पैदा होगी. 

उन्होंने आदिवासी समाज को इस त्योहार को भाईचारा के रूप में मनाने की अपील की.साथ ही समाज के लोगों से सामाजिक विकास हेतु शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की बात कही.
वहीं विधायक सोनाराम सिंकू ने इस कार्यक्रम के दौरान अपनी जगन्नाथपुर विधान सभा क्षेत्र अंतर्गत मनोहरपुर प्रखंड के बारंगा पंचायत के उरकिया गांव भी गए. वहाँ उन्होंने ग्रामीणों के संग मुलाक़ात कर उन्होंने उनकी समस्याओं से अवगत हुए. तथा उनकी समस्याओं को जल्द समाधान करने का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि दुसरी बार विधायक बनने पर क्षेत्र की समस्याओं के प्रति वे काफी गंभीर है.

इस मौके पर धनेश्वर महतो रतन टोपनो, अजीत तिर्की, रीना कुजूर, तिला तिर्की, रामसिंह समद, सुनील लुगुन, विजय तिग्गा, जेराई हेंब्रम, सुलेमान जोजो, रंजीत कोनगाड़ी, सोमा लुगुन के अलावा काफी संख्या में ग्रामीण लोग उपस्थित थे.

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