स्वास्थ्य विभाग से पश्चिमी सिंहभूम जिले को प्राप्त स्थापना मद की करोड़ों राशि की बन्दर बांट किए जाने की जांच निगरानी विभाग से कराई जा सकती है

सिविल सर्जन शुशांत मांझी बिना टेंडर के दवा सप्लाई लिए जाने भी चर्चा जोरों पर है

सिविल सर्जन और स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी की मिली भगत से स्थापना मद की राशि फर्जी वाउचर से निकासी करने का मामला प्रकाश में आ रहा है, जांच के घेरे में सिविल सर्जन कार्यालय

जिला के किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीज उड़ीसा राज्य में इलाज करा रहे हैं

स्वास्थ्य विभाग के मंत्री के भाई इमरान अंसारी को बदनाम करने में लगे हैं सिविल सर्जन

अस्पताल की शोभा बढ़ा रही है स्वास्थ्य उपकरण और संयंत्रण, उपयोगिता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है

पश्चिमी सिंहभूम जिला का स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे चल रहा है

जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सोना राम सिंकु ने मंत्री से मिलकर स्वास्थ्य सेवा को ठीक करने की मांग कर चुके हैं, लेकिन तीन महीने बीतने के बाद भी इसका असर देखने को नहीं मिल रहा है


रांची डेस्क/संतोष: पश्चिमी सिंहभूम जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दिया गया स्थापना मद में सिविल सर्जन को साढ़े चार करोड़ की राशि दी गई है, जिसका की बन्दर बांट किए जाने की चर्चा जोरों पर है। हां विदित हो कि सिविल सर्जन और सभी प्रभारी की मिली भगत से फर्जी अभिश्रव से निकासी की सुचना मिल रही है, जिसकी जांच निगरानी विभाग से कराने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार सिविल सर्जन के द्वारा किसी दवा सप्लाई करने वाले माफिया गिरोह से बिना टेंडर प्रक्रिया के दवा सप्लाई लिया गया है, जो जांच होने पर खुलासा हो सकता है। 


वही सिविल सर्जन ने मात्र कमिशन के लिए स्वास्थ्य उपकरण भी लिए हैं, जिसकी उपयोगिता नहीं हो रही है, उपकरण और संयंत्रण अस्पताल की शोभा बढ़ाने का काम कर रही है। इतने बड़े अस्पताल में MRI, सिटी स्कैन, डायलिसिस की सुविधा नहीं दी जाती है। जिला के सभी स्वास्थ्य केंद्र में डिजिटल XREY तक नहीं है, डॉक्टर की कमी के कारण उड़ीसा राज्य मरीज इलाज कराने के लिए मजबूर हैं।


सूत्रों के अनुसार सिविल सर्जन शुशांत मांझी विभागीय मंत्री इरफ़ान अंसारी के भाई इमरान अंसारी का वरदहस्त प्राप्त होने के दम पर स्वास्थ्य विभाग की राशि में मनमानी करने की चर्चा जोरों पर है। सूत्रों के अनुसार श्री मांझी के द्वारा बीस पर्सेंट कमिशन वसुली करने का मामला निगरानी विभाग में पहुंचाया जा सकता है। स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी की भूमिका संदिग्ध माना जा रहा है।

श्री मांझी के वाट्स ऐप चैट और कॉल डिटेल से भ्रष्टाचार के और भी कई मामला उजागर हो सकता है। श्री मांझी के कार्य शैली और कार्य संस्कृति से स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है, जनता त्राहिमाम कर रही है, मरीज बेबस असहाय नज़र आ रहे हैं। यूं कहा जा सकता है कि जिला की स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे पर है। श्री मांझी के द्वारा जो दवा सप्लाई लिया गया है, उसकी जांच भी जरूरी है।

Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post