चाईबासा में सरना धर्म कोड लागु करने की मांग को लेकर झामुमो नें दिया धरना प्रदर्शन
मंत्री दीपक बिरूवा नें कहा आदिवासियों की पहचान और अस्मिता को बचाने के लिए दिल्ली तक भी आंदोलन करने को तैयार झामुमो
सरकारी योजनाओं से आदिवासियों का अस्तित्व समाप्त होने का खतरा
जब पहचान ही नहीं रहेगी तो जातीय जनगणना कराने का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा
संतोष वर्मा
Chaibasaःपूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत मंगलवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा के पश्चिमी सिंहभूम जिला के जिलाध्यक्ष सोनाराम देवगम के अध्यक्षता में पुराने डीसी अॉफिस के समक्ष सरना धर्म कोड को लागु करने की मांग को लेकर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया.इस विराट धरना प्रदर्शन में झारखंड सरकार के परिवहन सह भू राज्सव मंत्री दीपक बिरूवा, सिंहभूम सांसद जोबा माझी, मनोहरपुर विधायक जगत माझी भी शामिल हुए. धरना प्रदर्शन के बाद जिलाध्यक्ष सोनाराम देवगम के नेतृत्व में एक प्रतिनिधी मंडल उपायुक्त चंदन को राष्टपती के नाम मांग पत्र सौंपा.सरना धर्म कोड / आदिवासी धर्म कोड को मान्यता दिए बिना जनगणना नहीं करवाने के सम्बंध में. झामुमो द्वारा राष्टपत्ति के नाम उपायुक्त को दिया गया मांग पत्र में लिखा गया की भाजपा नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार द्वारा पूरे देश में जातिगत जनगणना करवाने का निर्णय लिया गया है .झारखण्ड सरकार द्वारा सरना धर्म कोड/आदिवासी धर्म कोड विधेयक को झारखण्ड विधानसभा से दिनांक 11 नवम्बर 2020 को एक विशेष सत्र आयोजित कर सर्वसम्मति से पारित किया था.झारखण्ड विधानसभा से उक्त प्रस्ताव को पारित कर राज्यपाल के माध्यम से केन्द्र सरकार के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया था.
परन्तु आज लगभग 05 वर्ष उपरान्त भी सरना/आदिवासी अस्मिता और पहचान से जुड़े इस विधेयक पर केन्द्र सरकार द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया. सरना धर्म कोड/आदिवासी धर्म कोड विधेयक का उद्देश्य 2021 की जनगणना में सरना/आदिवासी धर्म को एक अलग धार्मिक पहचान के रुप में मान्यता दिलाना है.ज्ञात हो कि सरना धर्म के अनुयायी प्रकृति पूजक होते हैं और वे स्वंय को हिन्दू धर्म का हिस्सा नहीं मानते.इस प्रस्ताव को पारित करने के बाद इसे केन्द्र सरकार को भेजा गया ताकि जनगणना में सरना/आदिवासी धर्म के लिए एक अलग कॉलम शामिल किया जा सके. लेकिन जब पहचान ही नहीं रहेगी तो जातीय जनगणना कराने का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा. यह स्थिति आदिवासी समुदाय के प्रति भाजपा की मानसिकता को उजागर करती है.भारत गणराज्य के संवैधानिक प्रमुख होने के साथ-साथ आप हमारी अभिभावक भी हैं.इसलिए हम आपसे यह मांग करते हैं कि आदिवासी समुदायों के अस्मिता और पहचान से जुड़े इस गंभीर विषय पर संज्ञान लेते हुए सरना धर्म कोड/आदिवासी धर्म कोड विधेयक के लागू होने तक जनगणना को रोका जाए जिससे आदिवासी समुदायों के अस्मिता और पहचान की रक्षा हो सके. मौके पर सोनाराम देवगम, राहुल आदित्य, इकबाल अहमद, भुवनेश्वर महतो, दिनेश चंद महतो, अकबर खान, विश्वनाथ वाड़ा,अविशेक सिंकु,वधना उरांव,रामलाल मुण्डा,दीपक कुमार प्रधान,नजर हुसैन डोगर,बुधराम लागुरी आदी उपस्थित थें.