झामुमो के डिस्कनरी से अस्मिता,अस्तित्व और पहचान जैसे शब्द मिट चुके हैं - बिर सिंह बिरुली

झामुमो के डिस्कनरी से  अस्मिता,अस्तित्व और पहचान जैसे शब्द मिट चुके हैं - बिर सिंह बिरुली

अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, पश्चिम सिंहभूम के सचिव बिर सिंह बिरुली ने कहा कि मंत्री और  संसद किस मुंह से भाषा-संस्कृति, हक, अधिकार, अस्तित्व और पहचान की बात कह रहे हैं

संतोष वर्मा

Chaibasaः जिला मुख्यालयों में झामुमो द्वारा केंद सरकार से सरना/आदिवासी धर्म कोड जल्द लागू करने को लेकर एकदिवसीय धरना दिया गया था।धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए मंत्री दीपक बिरुवा ने कहा कि आदिवासियों के हक अधिकार पहचान, भाषा संस्कृति की रक्षा के लिए होने वाले जातिय जनगणना में आदिवासियों को सरना धर्म कोड देने की मांग की। और संसद जोबा मांझी  ने कहा कि सरना धर्म कोड ही आदिवासियों की पहचान और भाषा, संस्कृति है बिना सरना धर्म के आदिवासियों को एक साजिश के तहत समाप्त करने का आरोप लगाया था। इस पर अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ, पश्चिम सिंहभूम के सचिव बिर सिंह बिरुली ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि मंत्री और  संसद किस मुंह से भाषा-संस्कृति, हक, अधिकार, अस्तित्व और पहचान की बात कह रहे हैं। कोल्हान में तीसरी बार मंत्री बने नेता जी और कई बार मंत्री व अब संसद बनने पर भी आदिवासी अस्तित्व,अस्मिता और पहचान खतरे है तो जिम्मेदार कोई है। कोल्हान में सबसे विनाशकारी विस्थापन परियोजना ईचा डैम पर इनके जुबान पर तला लग जाता है। ऐसे बहुदेशीय परियोजनाओं पर टी.ए.सी जैसे संवैधानिक संस्थाओं द्वारा सहमति देकर किसी अस्मिता अस्तित्व एवं पहचान संरक्षित करना चाहते हैं ? झामुमो के डिस्कनरी से अस्मिता अस्तित्व और पहचान जैसे शब्द मिट चुके हैं। आज पूरे झारखंड में दसवीं का परिणाम घोषित हुआ है। पश्चिम सिंहभूम का रिजल्ट सबसे निचले 24 वां पायदान  अपना शिक्षा स्तर का हाल बयां कर रहा है जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। विगत कई वर्षों से कोल्हान में झामुमो के माननीय अपना झंडा गढ़े हुए । माइंस,खदान और डी.एम.टी फंड की ठेकेदारी और कमीशनखोरी के कारण शिक्षा के क्षेत्र में कभी इनका ध्यान की नहीं गया। थोड़ा भी शिक्षा की चिंता होती तो आज का परिणाम कुछ और होता। राज्यव्यापी सरना धर्म एकदिवसीय धारना से मझगांव विधायक निरल पुरती के नदारद रहने पर कटाक्ष करते हुए बिर सिंह ने कहा कि लगता है माननीय ने घोषित कर दिया कि वे सरना धर्म के पक्ष में नहीं हैं एवं सरना को नकार चुके हैं। और  खुद को पार्टी लाइन से अलग करते हुए आदिवासी हित में धरना में शामिल होना अनिवार्य नहीं समझा। साथ ही ईसाई अल्पसंख्यक के रूप में अपनी अस्तित्व और पहचान को मजबूती से संरक्षित करने में सफल रहे।

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