झारखंड राज्य में ग्रामीण विकास दम तोड़ती नजर आ रही है, ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पाण्डेय का कार्यकाल में फंड का अभाव रहने से सड़क और पुल निर्माण का कार्य अधर में लटका
हेमंत सोरेन सरकार पार्ट 2 में विकास कार्यों के लिए ग्रामीण कार्य विभाग में आवंटन नहीं होने के कारण संवेदकों का भुगतान लटका
चाईबासा प्रमंडल में अधिकांश संवेदक इन दिनों अभियंताओं के द्वारा विपत्र नहीं बनाने की शिकायत मिल रही है। नोवामुंडी अवर प्रमंडल में समय पर विपत्र नहीं बनाने की शिकायत विभाग तक पहुंचने की खबर सामने आ रही है
कार्यपालक अभियंता राधेश्याम मांझी से विपत्र नहीं बनाने के मामले में जल्द ही विभाग स्पष्टीकरण मांग सकती है। सुत्र
आवश्यकता के अनुसार बीस फीसदी भी आवंटन नहीं मिल रहा है विभाग से, जिसके कारण डिविजन में दबंग और पैरवी वाले ठिकेदार को अधिक भुगतान किया जा रहा है
आवंटन कम आने से अभियंता की मनमानी बढ़ गई है, छोटे और कमजोर ठीकेदारों को ब्लैक मेल कर रहें हैं, समय पर विपत्र नहीं बनाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है
सूत्रों के अनुसार राजकुमार बेग के खिलाफ कई गंभीर शिकायत गोपनीय रूप से विभागीय सचिव को देने की भी चर्चा हो रही है, जिस में मुख्य रूप से विपत्र समय पर नहीं बनाना है
संतोष वर्मा
Chaibasa ः झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास और ग्रामीण कार्य विभाग से कार्यकारी एजेंसी को आवंटन नहीं मिलने से विकास कार्य पुरी तरह ठप पड़ गया है।pmgsy में फंड नहीं रहने के कारण संवेदकों का भुगतान लटका हुआ है. वहीं स्टेट फंड में हालत ऐसी है कि संवेदक कहते हैं, ऊंट के मुंह में जीरा का फोरन. सू़त्रों के अनुसार हेमन्त सोरेन की सरकार पार्ट 2 में विकास कार्यक्रम की स्थिति बेहतर नहीं मानी जा रही है। संवेदक सुत्र यह भी दबे जुबान से कह रहे हैं कि दीपिका पाण्डेय ग्रामीण कार्य और ग्रामीण विकास के साथ साथ पंचायती राज में विकास की गाड़ी को दौड़ाने में सफल साबित नहीं हो पा रही हैं। पंचायती राज में विभाग से कोई फंड नहीं मिलना, पंचायती राज को पंगु बनाने जैसा है। आज पंचायती राज में जो भी फंड मिल रहा है, सभी स्वास्थ्य विभाग की फिफ्टीन फाइनेंस का फंड है। पिछले सरकार में इरफान अंसारी ने जितनी योजना स्वीकृति दी गई थी, वहीं योजना आज राज्य में देखने को मिल रही है, लेकिन विडंबना यह है कि पिछले सरकार में स्वीकृत योजना एवं निविदा के निष्पादन कराने में वर्तमान मंत्री दीपिका पाण्डेय विफल हो गई हैं। मंत्री दीपिका पाण्डेय का पद संभाले छ माह बीतने के बाद भी इरफ़ान अंसारी के समय में निकली निविदा का निष्पादन नहीं होना ग्रामीण विकास मंत्रालय पर सवाल खड़ा होता है, विभागीय अधिकारियों की चुप्पी यह साबित करती है कि मंत्री और सचिव के बीच कुछ तो चल रहा है, जिसका नतीजा है कि विकास कार्य की रफ्तार राज्य में देखने को नहीं मिल रही है। कांग्रेस का पहला एजेंडे ग्रामीण विकास पर केंद्रित रहता है, लेकिन आज कांग्रेस के पास मंत्रालय होने के बाद भी ग्रामीण विकास चरमरा गई है। आज मंत्रालय सिर्फ ट्रांसफर पोस्टिंग पर ध्यान देने पर लगी है।