अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सफाई कर्मी शुक्रवार से गुवा सेल में अनिश्चितकालीन करेंगे हड़ताल
santosh verma
Chaibasa ः अपनी विभिन्न मांगों को लेकर गुवा सेल के सफाई कर्मी झारखंड मजदूर संघर्ष संघ यूनियन के बैनर तले शुक्रवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। सफाई कर्मियों का कहना है कि रोईदास करूवा जो सेल द्वारा निर्मित शुलभ शौचालय में सफाई कार्य में नियुक्ति किया गया था जिसे कार्य से बैठा दिया गया है उसे पुनः कार्य में बहाल किया जाए,किशन गोच्छाईत जो सफाई विभाग में कार्यरत थे उसे कार्य से हटा दिया गया है उसे तत्काल कार्य में बहाल किया जाए,सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए,वर्तमान में सफाई कार्मियों को उनके मूल वेतन का अतिरिक्त 10 प्रतिशत दिया जाता है उसे बढ़ा कर 40 प्रतिशत किया जाए,जिन सफाई कार्मियों को प्रबंधन के द्वारा आवास आवंटित नहीं किया गया है उन सफाई कार्मियों को 3000/- रूपये प्रतिमाह आवास भत्ता के रूप में दिया जाए एवं आवास आवंटन में सफाई कार्मियों को प्राथमिकता दी जाए,सफाई कार्मियों को दो जोड़ी पोशाक, जुता, हेलमेट तथा दस्ताना प्रदान किया जाए,जिन कार्मियों को ठेकेदार द्वारा किसी के अनुपस्थिति में कार्य पर रखा जाता रहा है और जो पिछले 5-10 वर्षों से सफाई विभाग में कार्यरत है वैसे कार्मियों ठेका कार्मियों के रूप में स्थापित कर नियमित किया जाए,सफाई विभाग में कार्यरत किसी भी कार्मियों का पदोन्नती नहीं किया गया है।
सफाई कार्मियों का भी पदोन्नती किया जाए,सफाई विभाग के जो कर्मी सेवा निवृत हो रहे है उनके अश्रितों को उनके शिक्षा योग्यता के अनुसार उन्हें काम दिया जाए तथा जो कर्मी शिक्षित तथा योग्य है उन्हें उनके योग्यता के आधार में काम दिया जाए। जैसी मांगों को प्रबंधन द्वारा अनदेखा किया जा रहा है। सफाई कर्मियों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक वे कार्य पर नहीं लौटेंगे। हड़ताल से गुवा सेल अस्पताल,परिसर एवं आसपास के इलाकों में साफ-सफाई व्यवस्था पूरी तरह ठप होने की आशंका जताई जा रही है। इससे न केवल सेल प्रबंधन को दिक्कत होगी बल्कि आसपास रहने वाले आम लोगों को भी गंदगी और बदबू जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के महामंत्री अंतर्यामी महाकुड़ ने कहा, हमारी सफाई कर्मीयों की मांगें नई नहीं हैं। वर्षों से हम इन्हें उठा रहे हैं लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है। अब मजबूरन हमें हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा है। जब तक लिखित समझौता नहीं होगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।