विश्वास पर अंधविश्वास हावी होने की तस्वीर कैमरे पर चमकी
सरायकेला : सरायकेला जिले में आस्था पर अंधविश्वास हावी होता हुआ देखा जा सकता है। जहां बीते 5 तारीख से कपाली थाना अंतर्गत काजू बागान में लगातार प्रदीप मिश्रा नाम के कथा वाचक आकर कई एकड़ भूमि में शिव पुराण की कथा कहते देखे जा रहे हैं और श्रद्धालुओं एवं भक्तों का उन्माद ऐसा है कि टेंट में जगह नहीं होने के बावजूद वे लोग बाहर खुले मैदान में बैठकर उनकी कथा का श्रवण कर रहे हैं।
पूरे कार्यक्रम के दरमियान चौंकाने वाली बात यह रही कि औरंगाबाद बिहार से एक परिवार अपने 15 वर्ष के दिव्यांग बच्चे के साथ कथा सुनने आया अंधभक्ति ऐसी कि कड़ाके की ठंड में कूट के डब्बे को खुले आसमान और सूखी जमीन पर बिछाकर दिव्यांग बच्चे को उस पर छोड़ दिया और माता-पिता टेंट के अंदर कथा सुनाने चले गए। दिव्यांग बच्चे की देखभाल करता हुए रिश्तेदार ने बताया कि दिव्यांग बच्चे का नाम ऋषि है जो 15 साल से दिव्यांग है और ऐसा कथावाचक ने कहा है कि उनकी कथा सुनने से दिव्यांग ठीक हो जाता है।
अब यह विश्वास है या अंधविश्वास यह तो भगवान ही जाने लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कई खुले मंचों से एवं सदन में कई एम्स खुलवाने के दावों की पोल सरायकेला में आयोजित यह कथाकार खोलता हुआ देखा जा रहा है। जहां इलाज न करवाकर लोग कथा सुनवाकर अपनी बीमारियां ठीक करने की आस लगाए बैठे हैं।
वही कथा वाचक अपनी सुरक्षा के लिए बाउंसरों को तैनात किए हुए हैं और बाउंसरों द्वारा महिलाओं के साथ भी बदतमीजी करने में गुरेज नहीं किया जा रहा है जहां कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि वह कथा सुनाने आए थे लेकिन बाबा के बाउंसरों ने उन्हें अपमानजनक शब्द एवं कई अन्य प्रकार से अपमानित किया वही जब इसका विरोध किया गया तो उन्होंने कहा कि हम बाबा के बाउंसर हैं हम कुछ भी कर सकते हैं।
पूरे मामले को लेकर जब चांडिल के एसडीपीओ से दूरभाष पर बातें की गई तो उन्होंने कहा कि अभी तक कोई मामला हमारे संज्ञान में नहीं आया है अगर कोई मामलात है तो हम इस पर निश्चित कानूनी कार्रवाई करेंगे लेकिन सवाल यह उठता है क्या कोई सम्मानजनक परिवार से भगवान के नाम पर कथा सुनने आई महिला अपनी अपमान की आपबीती थाने में दर्ज करने जाएगी?
जहां दूसरी ओर एसडीओ ने निर्धारित पुलिस बल एवं ऑफीसरों की संख्या तक कैमरे में बता दी, लेकिन उन्हें झारखंड एकेडमिक काउंसिल द्वारा आयोजित मैट्रिक इंटर के सेंटरों की संख्या बताने में असमर्थ थे, वैसे में सरायकेला जिला पुलिस एवं प्रशासन से कैसे आशा लगाई जा सकती है कि वे लोग सुरक्षा देने में सक्षम हैं?