चाईबासा : झारखंड में सब कुछ ठिक नही चल रहा है। हां, इसलिए कि ग्रामीण कार्य विभाग में टेंडर मैनेज करने का काम टेंडर कमिटी में धड़ल्ले से चल रहा है।ग्रामीण कार्य विभाग में कार्यरत संयुक्त सचिव रंजित रंजन इन दिनों अपने कार्यशैली से काफी चर्चा में हैं। चाहे वो योजना की स्वीकृति में भेद भाव और पक्ष पात करने या टेंडर मैनेज करने के साथ ही टेंडर कमिटी को अपने पॉकेट में रखने का मामला चर्चा का बाजार इतना गरम है कि कम समय में रंजित रंजन ग्रामीण कार्य विभाग में रहते करोड़ों की अवैध संपत्ति अर्जित किए जाने की है, जिसकी जांच के लिए माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की जाने की भी सूचना प्राप्त हो रही है।
विभाग में रंजित रंजन का रुतबा प्रधान सचिव से भी ऊपर है। अभियंता वर्ग रंजित रंजन के नाम से ही सब काम कर देते हैं, यहां तक कि अभियंता प्रमुख हो या मुख्य अभियंता, सब रंजित रंजन के सामने नतमस्तक रहते हैं। आखिर इतना धौंस और रुतबा कहां से आया है।सूत्रों की माने तो विभागीय मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल के नजदीकी हैं,और सावजतीय भी हैं।रंजित रंजन का कार्मिक विभाग में भी पकड़ है, अपने इच्छानुसार पदस्थापन कराने में सक्षम हैं।
रंजित रंजन के द्वारा विभाग को अपने स्पत्ति के जानकारी दी है, उसका आज के समय में कितना है, यह आकलन इनके अवैध संपत्ति की जांच होने से पता चल जाएगा। रंजित रंजन की संपत्ति की जांच के लिए सामाजिक संगठन के द्वारा उच्च न्यायालय में दायर करेंगे याचिका। रंजित रंजन के सामने अभियंता वर्ग रहते हैं नतमस्तक। विभागीय मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल के नजदीकी होने के कारण ही रंजित रंजन की है चलती। आदिवासी संगठन के द्वारा महामहिम राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलकर रंजित रंजन को हटाने की मांग करेंगें।
सूत्रों की माने तो कार्मिक विभाग को रंजित रंजन अपने पॉकेट में रखने की बात कहते हैं। ग्रामीण कार्य विभाग के योजनाओं के चयन में पक्षपात करने का भी आरोप लग रहा है। कौन है रंजित रंजन प्रसाद, जिसकी तूती बोलती है ग्रामीण कार्य विभाग में। रंजित रंजन प्रसाद की हैसियत और रुतबा विभागीय सचिव से भी ऊपर है।