इस लोकसभा चुनाव में झामुमों के सामने अपनी पार्टी को बचाने और सत्ता में बने रहने की चुनौती खड़ी है


चाईबासा/संतोष वर्मा : इस लोकसभा चुनाव में झामुमों के सामने अपनी पार्टी को बचाने और सत्ता में बने रहने की चुनौती खड़ी है। हां जहां संथाल में अपने ही सोरेन परिवार में राजनीतिक विरासत और सत्ता में आने के लिए आमने सामने है, हेमन्त सोरेन के जेल जाते ही परिवार के अन्दर चल रहे विवाद बाहर आने और दिवंगत पति दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन पार्टी को छोड़ कर भाजपा में शामिल होने साथ ही दुमका से भाजपा प्रत्याशी बनाएं जाने के बाद झामुमो सुप्रीमो गुरु जी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, वहीं हेमन्त सोरेन की राजनीतिक भविष्य भी टिका हुआ है।

उसी तरह जेएमएम के गढ़ कोल्हान में जेएमएम अपनी पार्टी और सत्ता को बचाए रखना चाहती है। चंपई सोरेन सरकार की दशा दिशा कोल्हान के दो लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार और जीत तय करेगी। कोल्हान की दोनो सीट कांग्रेस पार्टी से जेएमएम अपने खाते में रखा है। कोल्हान में जेएमएम का अपना दबदबा कायम रखने के लिए दोनो सीट से अपना प्रत्याशी को जिताना चंपई सोरेन के लिए जरूरी है, अगर ऐसा नही हुआ तो चंपई सोरेन को आने वाले दिनों में भारी राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

सूत्रों की माने तो कोल्हान की दोनो सीट से अपनी पार्टी को जीता कर सत्ता में बने रह सकते हैं।

इस लोकसभा चुनाव में संथाल परगना में हेमन्त सोरेन की राजनीतिक भविष्य तय होगी, वहीं कोल्हान में चंपई सोरेन की राजनीतिक भविष्य तय होगी। कोल्हान और संथाल परगना में जेएमएम अपनी पार्टी को बचा कर सत्ता में बने रहने का दिशा तय करेगी। भाजपा सीता और गीता को जीता कर कोल्हान और संथाल से जेएमएम का खात्मा चाहती है। सीता और गीता की जीत और हार से जेएमएम का भविष्य तय होगा। गीता कोड़ा की जीत और हार पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, क्यूंकि मधु कोड़ा की राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा है।

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