चाईबासा: रविवार को पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चाईबासा के कांग्रेस भवन में कांग्रेसियों ने क्रांतिवीर सिध्दू - कान्हू की तस्वीर पर माल्यार्पण कर 2 मिनट का मौन धारण कर उन वीर - वीरांगनाओं की शौर्य गाथा और बलिदान को याद किया। इस अवसर पर प्रदेश महासचिव दीनबंधु बोयपाई ने मुख्य वक्ता के रूप में उन शहीद वीर योद्धाओं की वीर गाथा को याद करते हुए कहा हुल दिवस, जिसे संथाल विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है, 30 जून 1855 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ शुरू हुआ था। और उस विद्रोह का मुख्य कारण था, 19 वीं शताब्दी में, संथाल आदिवासियों को महाजनों, जमींदारों और ब्रिटिश सरकार के द्वारा भारी शोषणों का सामना करना पड़ता था।
उनसे उनकी जमीनों को षड्यंत्र के तहत छीन लिया जाता था।वे लोग किसानों को जानबूझकर कर्ज में डुबाकर मजबूर करते थे। इस तरह महाजनों, जमींदारों और ब्रिटिश सरकार के विभिन्न तरह के हरकतों से तंग आकर आदीवासियों ने सिध्दू - कान्हू के नेतृत्व में हूल कांति का शुरुआत किया था। और इस युद्ध में संथाल आदिवासी लड़ाकू योद्धाओं ने जमींदारों, महाजनों और ब्रिटिश सरकार के सैनिकों की छक्के छुड़वाकर वीरता का लोहा मनवा चुके हैं।
इससे घबराकर दोनों को ही पकड़ लिया गया और 26 जुलाई 1855 को एक पेड़ पर लटकाकर फांसी दे दिया गया था। इस प्रकार इन वीर शहीदों की याद में प्रति वर्ष पूरे देश में हूल कांति दिवस मनाया जाता है। मौके पर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कृष्णा सोय ने कहा कि आज हूल कांति दिवस हम सबको पुनः जुल्म और शोषण के खिलाफ एक और क्रांति की याद दिलाने के लिए काफी है। उक्त महत्वपूर्ण कार्यक्रम की जानकारी जिला प्रवक्ता जगदीश सुन्डी ने दी।
मौके पर मुख्य रूप से प्रदेश महासचिव दीनबंधु बोयपाई, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कृष्णा सोय, जिला सचिव प्रेम पुरती, मोहन सिंह हेम्ब्रम, शंकर बिरुली, प्रखंड अध्यक्ष दिकु सावैया, क्रांति मिश्रा, मुन्नी बारी,सोमबारी सावैया,लक्ष्मी देवी, देवकी तामसोय,असरीता बोदरा, रोशनी बारी, सरस्वती देवगम,सपनी अल्डा,रीना पुरती,गोलू पुरती इत्यादि मौजूद थे।