जयपाल सिंह मुंडा जी के जयंती पर आयोजित हुआ 40प्लस फुटबॉल प्रतियोगिता, किये गए उनको याद


चाईबासा/संतोष वर्मा: जयपाल सिंह मुंडा की जयंती के शुभ अवसर पर एक दिवसीय 40 प्लस फुटबॉल प्रतियोगिता का आयोजन डांगोआपोसी फुटबॉल क्लब डांगोआपोसी के द्वारा आयोजित किया गया था इस खेल में कुल आठ टीमों ने भाग लिया (1) जोड़ा एफसी, (2) क्यों यार एफसी (3) राजा भाषा एफसी (4) ओल्ड इज गोल्ड (5) सिंकू टाइगर (6) डॉक्टर 11 CBSA,(7) बूढ़ा हरा तादाद (8) दंगोआपोसी F.C टीमों ने भाग लिया मंच का संचालन क्रांति तिरिया के द्वारा किया गया।


सर्वप्रथम जयपाल सिंह मुंडा की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए क्लब के सचिव शिवपाल बिरुआ ने कहा 3 जनवरी 1903 को कोटी के टकरा गांव में हुआ था उनके पिता का नाम अमरू पाहन और माता का नाम राधामानी था उनकी प्रारंभिक शिक्षा संत पूर्व प्राइमरी स्कूल टकरा में हुई थी 1911 में संत पॉल स्कूल रांची में दाखिला लिया था, यही वह समय था जब जयपाल सिंह मुंडा की जिंदगी में निर्णायक मोड़ आया और अपनी बहुमुखी प्रतिभा की वजह से जयपाल सिंह मुंडा ने सेंट पॉल स्कूल रांची के प्राचार्य कैनन क्रॉसजेश को ध्यान अपनी और आकर्षित करते हुए पढ़ाई और खेल में दोनों में अव्वल थे।


प्राचार्ज का सेवानिवृत हुए तो वह अपने साथ जयपाल सिंह मुंडा को इंग्लैंड ले गए इंग्लैंड में रहते हुए उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की उसी दरमियान उन्होंने पहली बार भारत में भारत ने ओलंपिक में हॉकी के लिए गोल्ड जीता वहीं से उनकी पहचान बनी और आईसीएस की ट्रेनिंग छोड़ दी और उन्होंने 1928 के एडम ओलंपिक की हॉकी टीम की कमान संभाली उसके पश्चात उन्होंने हॉकी टीम की कमान छोड़ दी यह अभी तक रहस्य है ऐसा उन्होंने क्यों किया था उसे साल पहली बार ओलंपिक में हॉकी का गोल्ड मेडल भारत ने जीता था।


जो आज से 100 साल पहले वह उच्च शिक्षा प्राप्त की थी इंग्लैंड से भारत लौटने के बाद जयपाल सिंह मुंडा छठ नागपुर की आदिवासी राजनीति में सक्रिय होंगे वह आदिवासी महासभा में शामिल हुए और झारखंड पार्टी के संस्थापक सदस्य में रहे वह संविधान सभा के निर्माण में गठित सभा के सदस्य रहे जहां उन्होंने अर्थ संविधान में आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को लेकर आवाज बुलंद की उन्होंने सबसे पहले कहा कि आदिवासी इस देश के प्रथम नागरिक हैं।


वह झारखंड अलग राज्य के लिए लड़ने वाले सब अग्रिम पंक्ति के योद्धा में रहे उन्होंने झारखंड पार्टी की स्थापना की थी झारखंड पार्टी के कांग्रेस में विलय के बाद उनकी मौत हो गई बरहाल जयपाल सिंह मुंडा झारखंड और देश भर के आदिवासियों के लिए प्रेरणा स्रोत है उसे समय भारत में गिने-चुने व्यक्ति हासिल कर पाते थे। ब्रिटिश शासन काल में इंडियन सिविल सर्विस के लिए चयनित जयपाल सिंह मुंडा ने हॉकी के लिए इतनी बड़ी नौकरी छोड़ दी और संविधान निर्माण के दौरान घटित सभा में भी रहे।


इस दौरान उन्होंने संविधान सभा में आदिवासी समझ गए के विशिष्ट अधिकारों को की वकालत की कहा जाता है जयपाल सिंह मुंडा ने देश में आदिवासी समुदाय के अधिकार के लिए जो आवाज बुलंद की उसकी आवाज गूंज अब तक सुनी जा सकती है जब भी आदिवासी समुदाय है कि संवैधानिक अधिकारों की बात होती है जयपाल सिंह मुंडा का जिगर हमेशा होता है । विजेता टीम को 20000 प्लस ट्रॉफी उप विजेता को 15000 पल्स टॉफी तीसरा एवं चौथा स्थान में रहने वाले को 5000 रुपया देकर के प्रस्तुत किया गया।

क्लब के संरक्षक गुलजार अंसारी, अध्यक्ष बोधन सिंह जमुदा, उपाध्यक्ष अरुण बौरी सचिव शिवपाल बिरुआ सह सचिव राजेंद्र दिग्गी कोषाध्यक्ष शांतनु सोरेन ग्राउंड मेंटेनेंस संजय गोप, सलाहकार राजेश गोप, अमित गोप ,गगन पूर्ति, महेश्वर मछुआ, चितरंजन दास, मदन कुम्हार, विजय गोप, मुख्य अतिथि ADEE विशिष्ट अतिथि सूरजमुखी विशिष्ट अतिथि जय सिंह तिरिया, विशिष्ट अतिथि प्रमिला पूर्ति विशिष्ट अतिथि बुधराम गोप के हाथों पुरस्कार वितरण किया गया धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष बुधन सिंह जमुदा ने किया।

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