चाईबासाः पुर्व डीडीसी संदीप बख्शी के कार्यकाल में कमिशन वसुली कम था, आज संवेदक दस प्रतिशत कमिशन देने की स्थिती में नहीं हैंः सुत्र

खनन प्रभावित छेत्र में कल्याण और विकास की योजना नहीं बनाई जा रही है, स्वास्थ्य और शिक्षा की राशि से पीसीसी सड़क स्वीकृत कर रही है प्रशासन

तीस प्रतिशत राशि से ही यातायात प्रक्षेत्र यानी सड़क और पुल पुलिया की स्वीकृति दिए जाने का सर्कुलर जारी किया गया है, लेकिन खनन प्रभावित छेत्र की अनदेखी की जा रही है

कृषि और किसान के हित में योजना लागू कर पाने में विफल है प्रशासन, संवेदकों के हित में कमिशन कम करने पर पहल करने की आवश्यकता हैः सूत्र

चार माह से टेंडर डिसाइड नहीं होने के पीछे का कारण जानने की जरूरत है प्रशासन को

एजेंसी और संवेदकों की खिंचतान की समस्या का समाधान कौन करेगा, चार माह बीतने पर भी कोई हस्तक्षेप नहीं करता दिख रहा है

लोकसभा चुनाव से आज विधानसभा चुनाव खत्म होने और सरकार बनने के बाद से आज तक छह महीने गुजरने के बाद भी विकास कार्य शुरू नहीं हुआ है

ग्रामीण कार्य विभाग यानी सड़क निर्माण कार्य में राशि नहीं रहने के कारण संवेदकों का भुगतान नहीं हो रहा है, जिससे बाजार को आर्थिक संकट देखने को मिल रहा है

यदि यही हाल रहा तो पश्चिमी सिंहभूम जिले में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर सकती है

सू़त्रों के अनुसार संवेदकों की एक ग्रुप गोपनीय ढ़ंग से निविदा आवंटन करने के नाम पर दस प्रतिशत कमिशन वसुली किए जाने की शिकायत मुख्य सचिव से लिखित पत्र देंगें


चाईबासा/संतोष वर्मा: पश्चिमी सिंहभूम जिला में खनन प्रभावित छेत्र के विकास और कल्याण के लिए केंद्र सरकार ने PMKKKY के द्वारा DMFT फंड उपलब्ध है, फिर भी खनन प्रभावित छेत्र में कल्याणकारी योजनाओं का अता पता नहीं चलता है और न ही विकास के रूप में कृषि, पेयजल, स्वच्छता के साथ साथ स्वास्थ्य और शिक्षा प्रक्षेत्र की आवश्यकता पूर्वक कार्य किया जा रहा है। प्रशासन सिर्फ पीसीसी सड़क बना कर विकास का पैमाना तय कर रही है। सिंचाई की सुविधा उपलब्ध करा पाने में विफल हैं।

खनन प्रभावित छेत्र में निजी स्कूल के तर्ज पर गरीब आदिवासी बच्चों को उच्च स्तर की शिक्षा देने की कोई योजना जिला प्रशासन के पास नहीं है। खनन प्रभावित छेत्र में स्वास्थ्य सुविधा की कागजी खाना पूरी कर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अपने ही पीठ को एक दूसरे से तफ्तफा रही है। आए दिन टीबी, मलेरिया, और बुखार से मौत हो रही है। जिला प्रशासन DMFT फंड से खनन प्रभावित छेत्र के सभी गांव में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करा सकती है, लेकिन जिला प्रशासन पीसीसी सड़क स्वीकृत कर उच्च प्राथमिकता के सत्तर प्रतिशत राशि नियम प्रक्रिया को ताक में रख कर, कर रही है।

सूत्रों के अनुसार जिला प्रशासन चार माह पूर्व स्वीकृत योजना में किसी भी कार्यकारी एजेंसी को राशि उपलब्ध नहीं कराई है, जब की उपायुक्त अपने स्वीकृत आदेश पर राशि विमुक्त करने का उल्लेख किए हैं, साथ ही सूत्रों के अनुसार योजनावर विमुक्त राशि का चेक भी बन कर पड़ा हुआ है।

आख़िर क्या कारण है कि लम्बे समय तक कार्यकारी एजेंसी को चेक नहीं दिया गया है। जिला प्रशासन और कार्यकारी एजेंसी के बीच कुछ तो ऐसा जरूर है, जिससे राशि विमुक्ति वाला चेक नहीं दिया जा रहा है। संवेदक सूत्रों के अनुसार एजेंसी दस प्रतिशत निविदा आवंटन करने में यानी सीएम करने के नाम पर मांग की जा रही है, जिससे संवेदक असमर्थ हैं। संवेदक सूत्रों के अनुसार संदीप बख्शी का कार्यकाल में कमिशन कम था, आज कमिशन बढ़ा दिया गया है, जिसके कारण एजेंसी और संवेदकों में खींच तान किए जाने पर मजबूर हैं।

सूत्र बताते हैं कि कमिशन एक प्रक्रिया बन गई है, लेकिन इस प्रक्रिया को कम और सरल किया जाना जरूरी है। माननीय मुख दर्शक बने हुए हैं। जिला प्रशासन और माननीय के चक्की में एजेंसी पिस रहे हैं, संवेदक अपनी परेशानी को दूर करने के लिए माननीय की ओर आशा भरी निगाह से टकटकी लगाए हैं। संवेदक का दर्द को कोई नहीं समझ पा रहा है, संवेदक अपनी दशा पर आंसु बहा रहे हैं, रोज़गार के लिए सभी तरह से प्रताड़ित होने पर मजबूर हैं।

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