मत्स्य किसान मोती पालन समूह का हुआ गठन
चाईबासा: अब पश्चिमी सिंहभूम जिले में भी मछली पालन के साथ सीपों की खेती भी की जा सकेगी। इसके लिये बुधवार को तालाब तथा केज में मछली पालन कर रहे किसानों की बैठक मंगलाहाट स्थित मानकी मुंडा संघ के भवन में संघ के उपाध्यक्ष कालीचरण बिरुवा की अध्यक्षता में हुई। बैठक में जिले के प्रथम मोती पालक विश्वनाथ तामसोय के नेतृत्व में मोती पालन की तकनीकी ज्ञान तथा बाजारों में मोती की मांग के संबंध में जानकारी दी गयी।
किसानों को बताया गया कि जिले में किसानों के पास जलाशयों की कमी नहीं है। यदि मछली पालन के साथ-साथ मोती पालन भी किया जाये तो काफी आर्थिक उन्नति की जा सकती है। मोती पालन में अब तो रोजगार की काफी संभावनाएं है। सरकार विभाग भी अब तो इसमें खूब मदद कर रहा है। बैठक में सर्वसम्मति से मत्स्य किसान मोती पालन समूह का गठन किया गया। ताकि जिलेभर में मोती पालन को बढ़ावा दिया जा सके।
संगठन के माध्यम से किसानों को तकनीकी सहयोग भी दिया जायेगा। इसके लिये मोती पालन की झारखंड की अग्रणी संस्था पुरती एग्रोटेक के डायरेक्टर बुधन सिंह पुरती भी तैयार हैं। वे भारत सरकार अधिकृत मोती पालन प्रशिक्षक हैं। जल्द ही पांच दिवसीय स्पेशल वर्कशॉप ट्रेनिंग प्रोग्राम भी होगा जो निशुल्क होगा। आज भारत मोती पालन में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। केवल जापान तथा चीन ही हमसे आगे है। यदि हम मन लगाकर काम करें तो अपनी तरक्की के अलावे हम जिले से पलायन को थोड़ा कम कर सकते हैं।
बैठक में विश्वनाथ तामसोय, मोरन सिंह तामसोय, प्रताप तामसोय, जवाहर हेंब्रम, सोमनाथ लागूरी, संजय बिरुली, ब्रजमोहन पुरती, विक्रम सुंडी, ब्रजकिशोर हेंब्रम, जेवियर सुंडी, मधुसूदन सिद्धू, मुरलीधर पुरती आदि मौजूद थे।