पश्चिमी सिंहभूम जिला प्रशासन के पास अरबों की राशि उपलब्ध रहने के बाद भी विकास कार्य नहीं हो पा रहा है

जिला के DMFT फंड पर लग सकती है राज्य की नजर, पहले भी रघुवर दास सरकार में DMFT फंड का ट्रांसफर हो चुका है अन्य योजनाओं में

विकास के प्रति माननीय अपना दायित्व निभाने से पीछे हटते नजर आ रहे हैं

जिला का विकास करने में प्रशासन नाकाम दिख रही है

पांच महीने बीतने के बाद भी टेंडर प्रक्रिया लंबित रहना, प्रशासन के कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है

विकास कार्य शुरू नहीं होने से छेत्र में आर्थिक संकट गहराता दिख रहा है

जिला प्रशासन और कार्यकारी एजेंसी के बीच तालमेल का अभाव देखने को मिल रहा है

विकास के प्रति माननीय अपना दायित्व निभाने से पीछे हटते नजर आ रहे हैं

जिला का विकास करने में प्रशासन नाकाम दिख रही है


चाईबासा/संतोष वर्मा: झारखंड प्रदेश का एक ऐसा कोल्हान प्रमंडल का पश्चिमी सिंहभूम जिला है जहां अपने जिलों में विकास की गंगा के साथ साथ सजाने संवारने में खुद सक्षम है.जबकी पश्चिमी सिंहभूम जिला के जिला प्रशासन के पास अरबों रूपये की राशि उपलब्ध रहने के बाद भी विकास कार्य नहीं हो पा रहा है, वहीं विकास के प्रति माननीय अपना दायित्व भी निभाने से पीछे हटते नजर आ रहे हैं। जिसके कारण जिला का विकास करने में प्रशासन नाकाम दिख रही है जिसका जिता जागता प्रमाण है की बिगत पांच महीने बीतने के बाद भी टेंडर प्रक्रिया लंबित रहना, प्रशासन के कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है। 

वहीं जिला प्रशासन विकास को गति देने में नाकाम हो रही है। हां पश्चिमी सिंहभूम में विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने में पीछे है। जहां राज्य स्तरीय योजना यानी ग्रामीण कार्य विभाग में चालू कार्यों में फंड नहीं मिलने से विकास कार्य ढीला पड़ गया है। वहीं जिला प्रशासन के पास विकास राशि उपलब्ध होने के बाद भी योजना का कार्य शुरू करा पाने में विफल है। विदित हो कि जिला DMFT फंड अरबों है, लेकिन जमीन पर कार्य नहीं दिख रहा है।

सूत्रों की माने तो जिला प्रशासन और कार्यकारी एजेंसी के बीच कमिशन का हिस्सा बंटवारा के चक्कर में संवेदक पिस्ते नज़र आ रहे हैं। माननीय अपना दायित्व से पीछे हट रहे हैं। संवेदक, एजेंसी और जिला प्रशासन के चक्कर में छेत्र का विकास पर ग्रहण लग गया है। माननीय संवेदकों की परेशानी को दूर करने में पीछे हट रही है।NREP और MI में टेंडर डिसाइड होने के बाद भी संवेदक कार्य शुरू नहीं कर रहे हैं। संवेदक और एजेंसी के तालमेल नहीं बन पाने के कारण कार्य शुरू नहीं हो रहा है, जिसके कारण बाजार में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। विकास कार्यों के शुरू होने से बाजार में आर्थिक संपन्नता दिखने लगती है। ऐसा नहीं होता दिख रहा है।

मकर संक्रांति और मागे पर्व पर बाजार में खुशहाली देखने को नहीं मिल रही है। सूत्रों की माने तो जिला के फंड पर राज्य की नज़र है, राशि खर्च नहीं कर पाने से राज्य अन्य किसी योजना कार्य के लिए राशि ट्रांसफर करने की सोच सकती है। रघुवर दास की सरकार में DMFT की फंड अन्य योजना में ट्रांसफर किया जा चुका है। जिला प्रशासन जिला के विकास के प्रति गंभीर हो, रोजगार के हित में कार्य को शुरू कराए, अन्यथा आर्थिक संकट गहराता जाएगा, और छेत्र में तरह तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। विधी व्यवस्था पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है।

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