20 मई की देशव्यापी हड़ताल से भारतीय मजदूर संघ अलग
Chaibasaः देश के कुछ ट्रेड यूनियनों द्वारा 20 मई को प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल से भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने खुद को अलग कर लिया है। संघ ने स्पष्ट किया है कि वह इस हड़ताल में भाग नहीं लेगा, क्योंकि यह हड़ताल राजनीतिक रूप से प्रेरित है और इसका उद्देश्य वास्तविक श्रमिक हितों से अधिक राजनीतिक दबाव बनाना है। BMS ने अपने आधिकारिक बयान में बताया कि भारत सरकार ने 2019 और 2020 के बीच प्रभावी 29 श्रम कानूनों को समाहित कर चार नए श्रम संहिताएं बनाई थीं कोड ऑन वेजेस 2019, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ कोड 2020, और इंडस्ट्रियल रिलेशन्स कोड 2020। संघ ने इनमें से दो प्रमुख कोड - वेज कोड 2019 और सोशल सिक्योरिटी कोड 2020- का स्वागत करते हुए इन्हें "ऐतिहासिक कदम" बताया है। BMS के अनुसार, नए कोड के अंतर्गत संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और रोजगार की गारंटी मिलती है। विशेष रूप से सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 में कर्मचारियों की बीमारियों और दुर्घटनाओं के मामले में ESIC की सुविधा को विस्तार दिया गया है। संघ ने बताया कि पहले के प्रावधानों के अनुसार ESIC में अंशदान जमा न होने पर कर्मचारियों को ईएसआईसी अस्पतालों में इलाज नहीं मिल पाता था। अब नए कोड के अंतर्गत यदि किसी संस्था के पास सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो कर्मचारियों को ईएसआईसी द्वारा इलाज प्रदान किया जाएगा। भारतीय मजदूर संघ ने हड़ताल के आयोजन को "राजनीतिक रूप से प्रेरित" करार देते हुए आरोप लगाया कि कुछ ट्रेड यूनियनें श्रमिकों को गुमराह कर रही हैं। संघ का कहना है कि वे श्रमिकों की समस्याओं को लेकर सरकार से लगातार संवाद कर रहे हैं और कई मुद्दों पर सहमति भी बन चुकी है। संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी भी प्रकार के राजनीतिक आंदोलन या हड़ताल का समर्थन नहीं करता जो श्रमिक हितों की आड़ में राजनीतिक स्वार्थ साधने का माध्यम बनती हो। BMS ने अपने सभी घटक संगठनों और यूनियनों से अपील की है कि वे 20 मई 2025 की हड़ताल से दूर रहें और इसे समर्थन न दें। साथ ही सरकार से यह भी आग्रह किया गया है कि वह कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020 और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ कोड 2020 में आवश्यक संशोधन शीघ्र पूरा करे। BMS ने सुझाव दिया है कि कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी और अन्य श्रम कोड में स्टेकहोल्डर्स से चर्चा के बाद जरूरी संशोधन किए जाएं, जिससे उनकी प्रभावशीलता और बढ़े।