तारफेल्टिंग के दौरान छत से गिरे दो मज़दूर, गंभीर रूप से घायल, अस्पताल में भर्ती

 तारफेल्टिंग के दौरान छत से गिरे दो मज़दूर, गंभीर रूप से घायल, अस्पताल में भर्ती 


संतोष वर्मा

Chaibasaः सेल की गुवा खदान के न्यू कलोनी में गुरुवार को एक भयावह हादसे में दो मजदूर गंभीर रूप से घायल हो गए। ये मजदूर सेल की आवास की छत पर तारफेल्टिंग का कार्य कर रहे थे, तभी एस्बेस्टस की पुरानी और कमजोर हो चुकी छत टूट गई और दोनों मजदूर छत के नीचे फर्श पर जा गिरे। हादसा इतना भीषण था कि दोनों को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। यह हादसा न सिर्फ मज़दूरों की लापरवाही से हुआ, बल्कि इससे कहीं ज़्यादा दोष सेल प्रबंधन और ठेका कंपनी की उस आपराधिक लापरवाही का है जो बिना किसी सुरक्षा उपकरण के श्रमिकों को जोखिम भरे कार्य में झोंक देता है। बताया जा रहा है कि न्यू कॉलोनी के आवासों में वर्षा का पानी टपकने की समस्या के समाधान हेतु सेल प्रबंधन ने सोना कंस्ट्रक्शन नामक एक ठेका एजेंसी को तारफेल्टिंग कार्य सौंपा था। इसी के तहत गुरुवार को दो मज़दूर अजीत प्रधान (50 वर्ष, गम्हरिया निवासी) एवं आचाम सुरेन (40 वर्ष, जमशेदपुर निवासी) - एक बंद आवास के ऊपर कार्य कर रहे थे, तभी अचानक छत की सीट भरभराकर टूट गई और दोनों मज़दूर नीचे गिर गए। हादसे के वक्त मकान में कोई नहीं था। गिरने के बाद दोनों मजदूरों की चीख-पुकार सुन आसपास के लोग जुटे और घर का ताला तोड़कर उन्हें बाहर निकाला। दोनों को तत्काल गुवा सेल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। एक की कमर व दूसरा के सिर में गंभीर चोट आई है। घटना के बाद मज़दूर नेता रामा पांडेय अस्पताल पहुंचे और उन्होंने सेल प्रबंधन और ठेकेदार की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा, यह कोई साधारण हादसा नहीं, बल्कि ठेकेदार और प्रबंधन की घोर लापरवाही का नतीजा है। कार्यस्थल पर सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं था, ना ही कोई सुपरवाइजर या अधिकारी मौजूद था। मज़दूर नेता ने कहा कि हर साल खान सुरक्षा सप्ताह का आयोजन कर सेल सिर्फ खानापूर्ति करता है, जबकि वास्तविक ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल अलग है। जो मजदूर हमारे घरों की छत को बारिश से बचा रहे थे, उनके सिर पर खुद कोई सुरक्षा नहीं थी। ये कैसा मज़ाक है? -रामा पांडेय ने तीखे लहजे में सवाल उठाया।ठेका कंपनी के प्रतिनिधि मोहम्मद इस्लाम उर्फ लादेन ने खुद यह स्वीकार किया कि मजदूरों को कोई सुरक्षा उपकरण नहीं दिया गया था। यह स्वीकारोक्ति इस बात को प्रमाणित करती है कि यह हादसा एक सोची-समझी लापरवाही का नतीजा है। रामा पांडेय ने मांग की कि घायल मजदूरों का संपूर्ण इलाज सेल या ठेका कंपनी द्वारा कराया जाए और जब तक वे स्वस्थ नहीं हो जाते, उनका वेतन भी ठेका कंपनी जारी रखे। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सभी टेंडर कार्यों में सुरक्षा मानकों की अनिवार्य निगरानी की जाए। यह घटना सिर्फ दो मजदूरों की नहीं, बल्कि उन सैकड़ों मज़दूरों की कहानी है जो रोज़ाना अपनी जान हथेली पर लेकर काम पर जाते हैं। सरकारी और निजी कंपनियाँ ठेकेदारों के ज़रिए काम तो निकलवा लेती हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं लेती। जब कोई हादसा होता है, तब एक-दो बयान देकर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक न तो स्थानीय प्रशासन ने कोई संज्ञान लिया है और न ही श्रम विभाग की ओर से कोई कार्रवाई की गई है। क्या मज़दूरों की जान की कोई कीमत नहीं है? जब तक ऐसी घटनाओं पर सख्त कानूनी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक मज़दूर इसी तरह घायल होते रहेंगे और प्रबंधन मूकदर्शक बना रहेगा। घटना के बाद न्यू कॉलोनी और आसपास के क्षेत्रों में गुस्सा देखा गया। लोगों ने मांग की कि एक उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से भी मांग की जा रही है कि वे इस गंभीर मुद्दे को जिला और राज्य स्तर पर उठाएं।

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