झारखंड में मंदिरों पर बढ़ते हमले चिंताजनक: धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना समय की मांगः पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा़
पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा क्षेत्र में पड़ने वाले गुवा थाना क्षेत्र अंतर्गत पड़ने वाले नुईया गांव स्थित प्रसिद्ध वन देवी मंदिर में असामाजिक तत्वों द्वारा माता के श्रृंगार और पूजा सामग्री को क्षतिग्रस्त किए जाने की घटना ने एक बार फिर झारखंड में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले की सूचना मिलने पर मंदिर समिति के साथ झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री मधु कोड़ा जी स्वयं संबंधित थाना पहुंचे और थाना प्रभारी के समक्ष शिकायत दर्ज करवाई।पूर्व मुख्यमंत्री ने थाना प्रभारी से इस घटना की त्वरित जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि ऐसे कृत्य न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाते हैं, बल्कि सामाजिक सद्भाव और शांति व्यवस्था के लिए भी खतरा बन सकते हैं।
यह पहली घटना नहीं है — कुछ ही दिन पहले जैतगढ़ क्षेत्र में भी एक मंदिर को निशाना बनाया गया था। यह घटनाएं दर्शाती हैं कि झारखंड में विशेष रूप से हिंदू धार्मिक स्थलों को लेकर असामाजिक तत्वों के दुस्साहस में वृद्धि हुई है। चिंता की बात यह है कि झारखंड में गठबंधन की सरकार आने के बाद इन घटनाओं में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है।भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जहां हर नागरिक को अपने धार्मिक विश्वासों और आस्थाओं के पालन का पूर्ण संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। फिर भी जब विशेष रूप से एक समुदाय के धार्मिक स्थलों को बार-बार निशाना बनाया जाता है या पर्व-त्योहारों के आयोजन में रोक-टोक की जाती है, तो यह धार्मिक असहिष्णुता और प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है।पूर्व मुख्यमंत्री कोड़ा ने स्पष्ट रूप से कहा कि झारखंड सरकार और राज्य प्रशासन को इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से लेना चाहिए और राज्य की सांप्रदायिक सौहार्द्र एवं शांति बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए। यदि समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो इससे सामाजिक अशांति फैल सकती है, जो किसी भी रूप में राज्य के विकास और नागरिकों की सुरक्षा के लिए उचित नहीं है।समाज की जिम्मेदारी यह भी जरूरी है कि समाज के सभी वर्ग मिलकर इस प्रकार की असामाजिक गतिविधियों का विरोध करें। धार्मिक स्थलों का सम्मान और संरक्षण हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है