महिला कॉलेज चाईबासा में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर विभागीय सेमिनार का आयोजन किया गया

महिला कॉलेज चाईबासा में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर विभागीय सेमिनार का आयोजन किया गया

santosh verma 

Chaibasaः महिला कॉलेज चाईबासा में विश्व आदिवासी दिवस के अवसर विभागीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दीप प्रज्वलन कर सेमिनार का शुभारंभ किया गया। प्रभारी प्राचार्य डॉ निवारण मेहथा ने सभी का स्वागत किया और आदिवासी दिवस मानने के महत्व को बताया। उन्होंने बताया कि1994 में संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा गठित आदिवासियों से संबंधित कार्यकारी समूह ने इसी 9 अगस्त को सर्वसम्मति से प्रत्येक वर्ष 'विश्व के आदिवासियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस', के रूप में मनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया। तब से यह चलन में है और पूरे विश्व में हर वर्ष 9 अगस्त को आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है।तत्पश्चात बी.एड. की छात्राओं ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के जीवन दर्शन को एक  एकांकी के द्वारा प्रस्तुत किया।

सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ मीनाक्षी मुंडा , सहायक प्राध्यापक पी.जी. डिपार्टमेंट कोल्हान यूनिवर्सिटी ने मुख्य विषय 

 " स्वदेशी लोग और आर्टिफिशियल* *इंटेलिजेंस (एआई): अधिकारों की रक्षा,* *भविष्य को आकार देना"

पर अपने विचार व्यक्त किए।

उन्होंने कहा स्वदेशी संस्कृति को अधिक से अधिक पहचान देने की  आवश्यकता है ताकि विश्व पटल पर पहचान बन सके और दुनिया भर के स्वदेशी लोगों के अधिकारों, संस्कृति और योगदान को मान्यता दी जा सके। यह दिन स्वदेशी समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों, जैसे कि भूमि अधिकार, शिक्षा, और स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का भी एक अवसर है।मंच का संचालन डॉ ओनिमा मानकी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ अर्पित सुमन टोप्पो ने किया। इस अवसर पर बी.एड. विभागाध्यक्ष मोबारक करीम हाशमी , डॉ राजीव लोचन नमता, डॉ बबीता कुमारी, प्रोफेसर शीला समद, प्रोफेसर प्रीति देवगम, प्रोफेसर सितेंद्र रंजन, प्रोफेसर मदन मोहन , प्रोफेसर धनंजय कुमार और साथ ही अन्य विभाग से डॉ सुचिता बाड़ा,  संगीता लकड़ा, डॉ ललिता सुंडी, प्रोफेसर सोना मई सुंडी और बी एड सेमेस्टर 2 और 3 की छात्राएँ शामिल हुईं।


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