पश्चिमी सिंहभूम जिला में जिला स्तरीय एवं विभाग के योजनाओं के कार्यों को समय पर पूरा नहीं करने वाले ठेकेदारों को निविदा दिया जाता है. सूत्र
स्थानीय नीति के आधार पर हेमंत सोरेन की सरकार दोबारा झारखंड में सरकार बनाने में सफल हुए हैं,जिला स्तर की निविदा में बाहरी बड़े ठेकेदार को काम दिला कर झामुमो की स्थानीयता की बात पर सवाल खड़ा कर सकती है?
लघु सिंचाई विभाग के चाईबासा कार्य प्रमंडल को DMFT से 46 योजनाओं की स्वीकृति मिली है
MI से पहले विशेष प्रमंडल,भवन प्रमंडल और NREP स्वीकृत योजनाओं की निविदा प्रकाशित कर चुके हैं. MI को 46 योजना, NREP को 49 योजना, भवन प्रमंडल को 17 और विशेष प्रमंडल को 17 योजना का कार्यकारी एजेंसि बनाया गया
बड़े पूंजीपति ठेकेदार छोटे ठेकेदारों की रोजी रोटी पर डाका डालने का काम करते हैं. सूत्र
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक संवेदक ने माननीय लोगों से अपील किया है कि स्थानीयता के आधार पर विधानसभा स्तर पर निविदा डालने दिया जाए
सेटिंग गेटिंग करने वाले संवेदक की चालबाजी से माननीय सावधान रहेंः सूत्र जिला के कुछ ठेकेदार बाहरी ठेकेदारों को संरक्षण देने का कर रहें हैं काम
santosh verma
Chaibasa ः लघु सिंचाई विभाग के चाईबासा कार्य प्रमंडल को DMFT से 46 योजनाओं की स्वीकृति मिली है. लघु सिंचाई ने सभी योजनाओं की निविदा प्रकाशित कर दी है. निविदा प्रकाशन होते ही संवेदक माननीय के दरबार में हाजिरी लगाना शुरू कर दिया है.MI से पहले विशेष प्रमंडल,भवन प्रमंडल और NREP स्वीकृत योजनाओं की निविदा प्रकाशित कर चुके हैं. MI को 46 योजना, NREP को 49 योजना, भवन प्रमंडल को 17 और विशेष प्रमंडल को 17 योजना का कार्यकारी एजेंसि बनाया गया है. सूत्रों के अनुसार जिला स्तर के योजनाओं में बाहरी और बड़े ठेकेदार के प्रवेश से जिला के स्थानीय संवेदक विरोध शुरू कर दिया है. आश्चर्य की बात है कि 50 करोड़ से 100 करोड़ तक का कार्य करने वाले ठेकेदार DMFT की निविदा में भाग लेने के लिए स्थानीय बिचौलियों का सहारा ले कर माननीय तक पहुंचने में लगे हैं. जिस स्थानीय नीति के आधार पर हेमंत सोरेन की सरकार दोबारा झारखंड में सरकार बनाने में सफल हुए हैं, लेकिन आज जिला स्तर की निविदा में बाहरी बड़े ठेकेदार को काम दिला कर झामुमो की स्थानीयता की बात पर सवाल खड़ा कर सकती है. उसी तरह जिला के ही पूंजीपति दबंग ठेकेदार एक से दूसरे विधानसभा और प्रखंड में स्थानीय संवेदक के रोज़गार पर डाका डालने का काम कर रहे हैं. पूंजीपति संवेदक अपने पहुंच और पैरवी के बल पर अधिक योजना लेने में सफल हो जाते हैं. कई ऐसे संवेदक हैं जिसे पिछले दो बार से एक भी योजना नहीं मिला है. ऐसा कहने में कोई परहेज नहीं है कि जिसका पेट भरा है, उसी को खाना परोसा जा रहा है. माननीय अपने छेत्र के स्थानीय बेरोजगार संवेदक को प्राथमिकता देते हुए उनके साथ अभिभावक की भूमिका निभाए, राजनीतिक पहुंच नहीं रखने वाले संवेदक इसकी अपेक्षा रखते हैं. आज सेटिंग गेटिंग रखने वाले कुछ संवेदक की चलती है. संवेदक चाहते हैं कि माननीय सबको एक नजर रखें. लगभग 130 करोड़ की योजना में कौन कितना योजना ले सकता है, इसका competition जिला के दबंग ठेकेदारों के बीच होने वाली है.