सरायकेला ( दीपक कुमार दारोघा ) : जिला मुख्यालय सरायकेला में भक्ति, आस्था व उल्लास के साथ मनाया जा रहा मकर पर्व।
तड़के सुबह से ही लोगों का रुख नदी घाटों की ओर रहा। लोगों ने स्नान की और नया कपड़ा परिधान कर मंदिर पहुंचे। मंदिर में पूजा अर्चना की। और भक्ति आस्था के साथ दिन की शुरुआत की। बताया जाता है कि इसी दिन सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन में आ जाते हैं। मकर संक्रांति मानव जीवन में बड़ी महत्व रखता है। कहा जाता है कि "जोदी बोन्चबू 12 मास तेबे देख्बू माघ मास" अर्थात जब 12 महीना जिंदा रहोगे तभी माघ मास देख पाओगे।
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माघ मास का महत्व समाज में बहुत बड़ी है। बड़बिल गांव में आदिवासी इस पर्व को माघे पर्व के रुप में मनाते हैं। इस पर्व को टुसू पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। चांडिल के जयदा मेला,कुक्डू के छातापोखर मेला इन्हीं में से हैं। इसके अलावा राजनगर के बोन्ग्बोंगा नदी पर लगने वाली मेला, खरसांवा के आकर्षणी मेला लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। सप्ताह भर तक चलने वाली मकर पर्व में लोग भक्ति, आस्था व उल्लास के साथ जीवन बिताते हैं। केवल महिलाओं के लिए सरायकेला में मेला लगता है।
खरकाई नदी के गर्व में मृगचिहढ़ा मेला का विशेष महत्व है। यह मेला 21 जनवरी शनिवार को आयोजित होने वाली है।मकर संक्रांति के दिन बच्चे स्नान कर नए परिधान धारण कर अभिभावकों का आशीर्वाद लिए। मंदिर में भक्ति व आस्था का वातावरण रहा। शंख और घंटी के ध्वनि से मंदिर गूंज रहा था।कुदरसाई शिव मन्दिर, श्मशान काली मंदिर, में लोगों ने पूजा-अर्चना की और आस्था जताया। गांव से लेकर शहर तक मकर पर्व का उल्लास है।