सांसद ने सारंडा में बन रहे पोंगा पुलिया का निर्माण कार्य रुकवाया


 चाईबासा ( संतोष वर्मा ) :   सारंडा के उसरुईया-पोंगा दुलाई नदी पर पुलिया का निर्माण किया जा रहा है. इसमें भारी अनियमितता बरते जाने की शिकायत मिलने पर इसकी जांच के लिए सांसद गीता कोड़ा शुक्रवार को कार्यस्थल पर पहुंची. कार्य स्थल पर ठेकेदार, विभागीय अभियंता व अन्य सक्षम पदाधिकारी नहीं होने तथा मौजूद ठेकेदार के मुंशी द्वारा किसी भी सवाल का जबाब नहीं देने से नाराज सांसद ने पुल निर्माण का कार्य बंद करा दिया. सांसद ने बताया कि यह पुल सारंडा के दर्जनों गांवों के ग्रामीणों की लाइफ लाइन है. इस पुल के नहीं रहने से सारंडा के ग्रामीण पूरे बारिश भर टापू की जिंदगी अपने गांवों में बिताते हैं. वह सभी बुनियादी सुविधाओं से वंचित तथा अस्पताल, प्रखंड व जिला मुख्यालय से पुरी तरह कट जाते हैं. ग्रामीणों की इस समस्या को दूर करने के लिए लंबी लड़ाई के बाद इस पुलिया का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था. लेकिन इसके निरीक्षण में भारी भ्रष्टाचार एवं अनियमितता पाई गई।

मुख्यमंत्री से की जायेगी जांच की मांग

सांसद ने बताया कि पुलिया हेतु जितनी गहरी नींव होनी चाहिए वह नहीं खोदा गया है. पुलिया में लगाया जा रहा स्टील घटिया स्तर का एवं प्राक्कलन से काफी पतला है. सीमेंट, गिट्टी व बालू का मिश्रण सही से नहीं किया जा रहा है. भाईब्रेटर मशीन का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है. कार्य स्तर पर कार्य संबंधी कोई बोर्ड नहीं लगाया गया है, जिससे प्राक्कलन राशी व योजनाओं की जानकारी नहीं मिल पा रही है. कार्य में नदी व जंगल का पत्थर का भी इस्तेमाल होने की बात सामने आई है. मजदूरों को सरकार द्वारा निर्धारित मजदूरी से काफी कम, अर्थात 250 रुपये प्रतिदिन ददिए जाने की जानकारी मिली है. कार्य में बाल मजदूरों को भी लगाया गया है जो काफी गलत है. उन्होंने कहा कि वे इस मामले को मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, उपायुक्त आदि के सामने रखेंगी और पूरे कार्य की जांच की मांग करेंगी।

पक्का गार्डवाल नहीं रहने पर जताई नाराजगी

इधर, मारंगपोंगा के समीप अर्तोवागाड़ा नाला पर बने पुल का एप्रोच गार्डवाल ठीक तरह नहीं बनाये जाने से सांसद नाराज दिखी. उन्होंने कहा कि पक्का गार्डवाल नहीं रहने की वजह से बारिश के पानी से गार्डवाल बह सकता है. जिससे आवागमन अवरुद्ध हो जायेगा. उपायुक्त से इस एप्रोच गार्डवाल को पक्का कराने हेतु कहा जायेगा. इस दौरान मानकी लागुड़ा देवगम, राजाबेड़ा मुंडा जामदेव चाम्पिया, जोजोगुटू मुंडा कानुराम देवगम, छोटानागरा मुंडा बिनोद बारीक, तितलीघाट मुंडा मनचुड़िया सिद्धू, राजेश सांडिल, मानसिंह चाम्पिया आदि दर्जनों ग्रामीण मौजूद थे।

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