बी टी सिंह की गिरफ्तारी से अभियंताओं और जिला के पदाधिकारियों में मचा हड़कंप, जांच की आंच मुख्य अभियंता सुरेंदर कुमार और अधीक्षण अभियंता अवधेश प्रसाद के कार्यालय तक पहुंचने का आसार


सुरेंद्र कुमार और अवधेश प्रसाद जांच के घेरे में, सूत्रों की माने तो बी टी सिंह तो एक मामूली मोहरा है।

 चाईबासा ( संतोष वर्मा ) :  बी टी सिंह की गिरफ्तारी से अभियंताओं और जिला के पदाधिकारियों में मचा हड़कंप। जांच की आंच मुख्य अभियंता सुरेंदर कुमार और अधीक्षण अभियंता अवधेश प्रसाद के कार्यालय तक पहुंचने का आसार। सुरेंद्र कुमार और अवधेश प्रसाद जांच के घेरे में। सूत्रों की माने तो बी टी सिंह तो एक मामूली मोहरा है, इसके ऊपर के बैठे वरीय अभियंता सर्वे सर्वा हैं। 


कमिशन वसूलने का काम बी टी सिंह के जिम्मे था

जिला के योजना और राज्य स्तरीय योजनाओं का सीएस के नाम पर कट मनी यानी कमिशन वसूलने का काम बी टी सिंह के जिम्मे था, इस घटना से साफ होता है कि जिला में कमिशन हावी हो चुका है। सूत्रों की माने तो सीएस के नाम पर वसूलनीय राशि कितने जगह पहुंचता है, जिसमें सफेद पोश के नाम की भी चर्चा जोरों पर हैं। इस घटना के बाद यह तो तय हो गया है की ईडी, सीबीआई की जल्द ही जिला में बड़ी कारवाई से इंकार नहीं किया जा सकता है।


सूत्रों कि माने तो इस घटना की जांच सीबीआई से कराने के लिए माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर किए जाने की योजना एक गैर सरकारी संगठन के द्वारा की जा रही है, जिसमें जिला प्रशासन को पक्षकार बनाया जायेगा, साथ ही ग्रामीण संवेदक संघ को भी पक्ष कार बनाया जायेगा। 


पश्चिमी सिंहभूम जिला में पाशुपालन घोटाला, खनन घोटाला को देख और सुन चुके हैं और अब विकास राशि घोटाला का नाम सुनने को मिलने वाला है।

विशेष प्रमंडल के खिलाफ लगातार योजनाओं की निविदा में सीएस के नाम पर जिस तरह डंके की चोट पर वसुली जा रही थी, उससे जिला के संवेदक त्राहिमाम कर रहे थे, जिला प्रशासन, माननीय चुप्पी साध रखी थी। आज का घटना से ग्रामीण संवेदक संघ और जिला के कमजोर ठिकेदार काफी खुश हैं।


विशेष प्रमंडल विभाग आज पूरी तरह से भ्रष्टाचार के गंगोत्री में डूबा हुआ है, इसका उदाहरण है कि तत्कालीन मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम सीएस वसूली कर अवैध ढंग से धन संपत्ति अर्जित किए जाने को लेकर जेल में बंद हैं, उसी नक्शे कदम पर जिला के विशेष प्रमंडल के अभियंता भी चल रहें हैं। जिला प्रशासन के द्वारा कार्य क्षमता से अधिक सौ करोड़ की योजना का कार्य देने से उंगली उठने लगा है, लेकिन इसके बावजूद तीसरा दौर में भी डीएमएफटी फंड, जिला योजना का कार्य दिया गया है, बाकि एजेंसी को पूरी तरह से दरकिनार करने का काम किया गया है। ऐसा लगता है कि जितेंद्र पासवान के सामने जिला के सभी अभियंता कम जानकारी वाले हैं, या फिर विशेष प्रमंडल की तरह कमिशन वसूली नही कर सक रहें हैं। 

जितेंद्र पासवान के कार्यपालक अभियंता के पद संभालते ही विशेष प्रमंडल में जिला के द्वारा बाढ़ की तरह योजना दिया जाने लगा, जो जांच का विषय है। 


विदित हो कि ग्रामीण विकास विशेष के तत्कालिन मुख्य अभियंता सुरेंद्र कुमार के काफी करीबी माने जाते हैं जितेन्द्र पासवान। जिस तरह बीरेंद्र राम की जांच की जा रही है, उसी तरह जितेंद्र पासवान की भी जांच करने की आवश्यकता है। आज की घटना से प्रताड़ित संवेदक काफी खुश नजर आ रहे हैं। जिला प्रशासन के द्वारा शिकायतों पर जांच नही करना, विशेष प्रमंडल को कार्य क्षमता से अधिक कार्य देना संदेह के घेरे में। 

जनहित याचिका दायर कर जितेंद्र पासवान, सुरेंद्र कुमार, अवधेश प्रसाद की सम्पत्ति की भी जांच की मांग किए जाने की संभावना। सूत्रों की माने तो विपक्ष के द्वारा एसीबी के इस मामला को ईडी से जांच की मांग कर सकतें हैं।

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