ए सी एफ साहब वन माफियाओं के लिए आतंक और जंगली हाथियों के लिए जादूगर थे : अर्जून बड़ाईक


चाईबासा ( संतोष वर्मा ) : विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रमंडल चाईबासा (तसर) के वन प्रमंडल पदाधिकारी अर्जुन बड़ाईक हुए सेवानिवृत्त। सेवानिवृत्त के पूर्व उन्होंने टाटा कॉलेज, चाईबासा में कल्पतरु का पौधा लगाया। इस मौके पर सामाजिक वानिकी के श्री दुबराज मांझी के द्वारा सहयोग किया गया।  
काफी समय से सहायक वन संरक्षक के पद पर कार्यरत रहने के बाद जून 2023 में विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रमंडल चाईबासा ( तसर) प्रमंडल में अर्जुन बड़ाईक ने वन प्रमंडल पदाधिकारी के रूप में योगदान दिया। महज दो महीने की अल्पावधि के पश्चात दिनांक श्री बड़ाईक सेवानिवृत्त हो गए। 

श्री बड़ाईक के बारे में कहा जाता है कि वे शासन में कड़क और नियम कानून का अक्षरसह पालन करने वाले पदाधिकारी के रूप में जाने जाते हैं, श्री बड़ाईक वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति समर्पित पदाधिकारी एवं राज्य में वन्य प्राणी एक्सपर्ट के रूप में पूरे राज्य ही नहीं, अन्य राज्यों में भी जाने जाते हैं, टाईगर रिजर्व क्षेत्र में जन जन में वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति आम आदमी को जागरूक करने की गजब की कला और क्षमता है श्री बड़ाईक में। यही कारण है कि वहां के लोग एवं वन्य प्राणी प्रभाग के बड़े से बड़े अधिकारी भी इनकी कर्मंठता और कुशल प्रबंधन और प्रशासन की प्रशंसा करते नहीं थकते हैं
दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी में पदस्थापित रहते हुए इन्होने समीपवर्ती गांवों एवं समीपवर्ती राज्यों उड़ीसा, बंगाल में भी जन सम्पर्क और वन्य प्राणी संरक्षण के प्रति इतनी जागरूक ता फैलाए कि विशु शिकार में शिकारियों की संख्या को नगण्य कर दिया था।


झारखंड वन विभाग के पूर्ववर्ती ऊंचे से ऊंचे कई पदाधिकारियों ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा है कि श्री बड़ाईक के रिटायरमेंट से वन एवं वन्य प्राणी संरक्षण के लिए समर्पित पदाधिकारी के रूप में एक शून्यता आ गई है।

खूंटी वन प्रमंडल में सहायक वन संरक्षक के रूप में श्री बड़ाईक वन माफियाओं पर शिकंजा कसने में कोई कसर नहीं छोड़ी,ये रात के अंधेरे में गुप चुप तरीके से पैदल ही घर से निकल जाते थे और पीछे से चालक को बिना हेड लाइट जलाए ही बुला लेते थे और खुसकी गलियों से चलकर स्टाफ सबको गुप्त स्थान पर बुलाकर अवैध परिवहन करते गाड़ियों को निर्जन स्थान पर अचानक पहुंच कर छापामारी कर पकड़ लेते थे।
इनके नाम का इतना दहशत रहा कि यदि माफियाओं के सूचकों को जरा सा भी भनक लग जाता कि ए सी एफ घर पर नहीं है,तो पूरे प्रमंडल में अवैध परिवहन कर रही गाड़ियां या तो चोरी छिपे कहीं अनलोड कर लेते या कोई रास्ता बदल देते या किसी निर्जन स्थान पर छिपा लेते थे।

सभी जानते हैं कि खूंटी वन प्रमंडल हाथियों की समस्यायों से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक है।इनके पास हाथियों को मैनेज करने की भी गजब की कला, टेक्निक और क्षमता और साहस है।लोग बताते हैं कि कैसा भी और कितना भी संख्या में कितनों खूंखार हाथियों का झुंड हो,श्री बड़ाईक का एक डेढ़ घंटे की कार्रवाई मात्र से हाथी उस स्थान से बीस पच्चीस किलोमीटर दूर चले जाते हैं।उनके अधीनस्थ कार्यरत पदाधिकारी और वन कर्मचारी और ग्रामीण कहा करते थे कि हमारे ए सी एफ साहब वन माफियाओं के लिए आतंक और जंगली हाथियों के लिए जादूगर हैं,

श्री बड़ाईक जैसे वन पदाधिकारी वन विभाग, समाज और राज्य के लिए धरोहर ही हैं।
उन्होंने दिनांक 06.05.1986 को पलामू टाईगर रिजर्व में रेंज अफसर के पद पर ज्वाईन करने के बाद बारेसांढ़ रेंज अफसर के रुप में 1995 तक पदस्थापित रहे,1995 से 1998 तक भवन निर्माण क्षेत्र रांची में पदस्थापित रहे,1998 से 2000 तक। गुमला में पदस्थापित रहने के बाद 2001 में बेतला वन क्षेत्र में, 2004 से 2007 तक दलमा वन्यप्राणी आश्रयणी जमशेदपुर में, 2008 से 2010 तक रामगढ़ वन प्रमंडल के पतरातु एवं 2011 से 2012 तक बिरसा मृग विहार कालामाटी में पदस्थापित रहे, 2012 में सहायक वन संरक्षक के पद पर प्रोन्नति के बाद में खूंटी वन प्रमंडल में पदस्थापित हुए और 2023 के 1 जून को वन प्रमंडल पदाधिकारी के रूप में प्रोन्नति के पश्चात वन प्रमंडल पदाधिकारी, विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रमंडल चाईबासा (तसर) के पद पर कार्यरत रहकर को सेवानिवृत्त हो गये । 

इनके विदाई समारोह में श्री समीर अधिकारी,वन प्रमंडल पदाधिकारी, निरंजन कुमार वन प्रमंडल पदाधिकारी,आर पी सिंह वन प्रमंडल पदाधिकारी, विश्व खाद्य कार्यक्रम प्रमंडल चाईबासा ( तसर) वन प्रमंडल के वन क्षेत्र पदाधिकारी शंकर भगत व सभी कर्मचारी मौजूद थे।

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