कृष्ण बोदरा ग्रुप को क्लब भवन हरिगुटु से बहुत पहले ही सामाजिक बहिष्कार कर निकाल बाहर किया जा चुका हैः मुकेश बिरूवा

कृष्ण बोदरा को 2015-18 के लिए आदिवासी हो’समाज महासभा के पुराने रजिस्ट्रेशन 153/83-84 के तहत अध्यक्ष बनाया गया था


चाईबासा। कृष्ण बोदरा को 2015-18 के लिए आदिवासी हो’समाज महासभा के पुराने रजिस्ट्रेशन 153/83-84 के तहत अध्यक्ष बनाया गया था, जबकि वह रजिस्ट्रेशन झारखंड गठन के बाद 2010 में समाप्त हो गया था। 2010 में हुए रि रजिस्ट्रेशन में अध्यक्ष देवेंद्र नाथ चाँपिया और महासचिव घनश्याम गगराई थे। और रजिस्ट्रेशन संख्या 855/2009-10 मिला। नये नियमावली के धारा 4(ख) के अनुसार जब तक तत्कालीन अध्यक्ष यानी देवेंद्र नाथ चाँपिया की अध्यक्षता में महाधिवेशन में नई समिति का गठन नहीं हो जाता तब तक पुरानी कमिटी ही काम करेगी। तो 2020 में देवेंद्र नाथ चाँपिया की अध्यक्षता में हुए महाधिवेशन में नई कमिटी को कार्यभार दिया गया। ये तो हुआ नियमावली की बात। अब जहां 2010 में समाप्त हुए नियमावली की बात है तो उसके तहत कृष्ण बोदरा ने 2 नवम्बर 2015 को कार्यकारिणी की बैठक में आदिवासी हो’ समाज महासभा के सभी मानद, सक्रिय और आजीवन सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने का निर्णय लिया था। 

महासभा के नियमावली के हिसाब से तीन तरह के सदस्यों से ही महासभा की कल्पना की गई है, और जब सारे सदस्य समाप्त हो गये, तो कृष्ण बोदरा गुट भी तो समाप्त हो गया। चूँकि ये लोग लालच के लिए महासभा में आये थे, तो समाप्त हुए रजिस्ट्रेशन का उपयोग करके टाटा कंपनी से पैसा एक NGO की तरह लेने का लोभ इनके मन में जागा। फिर बागुन सुम्ब्रूई के RTI के जवाब से इन्हें जब नये रजिस्ट्रेशन का फोटो कॉपी मिला तो उसी फोटो कॉपी से टाटा कंपनी में पैसे के लिए हाजिरी लगाते रहे। और मिला भी। वास्तव में यही इनका असली मकसद भी था। अब रहा हो’ समाज की सामाजिक जिम्मेदारी का तो ये लोग ना ही हो’ समाज के पर्व त्योहारों की तिथि निर्धारित करने में रुचि रखते हैं और ना ही शादी-व्याह में नये निर्णयों के आलोक में समाज को जागरूक करने की कोशिश करते हैं। और ना ही समाज के बुद्धिजीवियों के साथ कभी बैठक बुलाए हैं। क्योंकि ये तो लालच के लिए अवैध ग्रुप बना कर टाटा कंपनी से साँठगाँठ कर अपना धंधा चला रहे हैं। 

हो’ समाज में आदिंग बहुत पवित्र माना जाता है, और अपनी पहचान का एक मुख्य आधार भी। लेकिन कृष्ण बोदरा ग्रुप के सदस्यों को तो अपने आदिंग तक में पहुँच नहीं है। और वो लोग हमें बता रहे हैं कि आदिवासी हो समाज कौन सही है। कृष्ण बोदरा ग्रुप को क्लब भवन हरिगुटु से बहुत पहले ही सामाजिक बहिष्कार कर निकाल बाहर किया जा चुका है। और अब बिल से निकल कर एकाध बार ज़िंदा होने का सबूत देने के लिए बरसाती मेंढक की तरह आ जाते हैं। समाज को इस पर बहुत ध्यान देने की जरूरत नहीं है। उपरोक्त बातें मुकेश बिरुवा, पूर्व महासचिव आदिवासी हो’ समाज महासभा ने प्रेस विज्ञाति जारी कर प्रतिक्रिया में कही।

मुकेश बिरुवा
पूर्व महासचिव
आदिवासी हो समाज महासभा

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