चाईबासा : गुईरा स्थित टीआरटीसी में बिरसा चाईबासा के तत्वावधान में दो दिवसीय कृषि कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें मंझारी प्रखंड के महिला पुरुष किसानों ने भाग लिया। कार्यशाला में जलवायु परिवर्तन के कारण हो रहे प्रभावों पर चर्चा करते हुए बिरसा के कृषि कैंपेनर राजेंद्र चंपिया ने कहा कि कुछ समय से वर्षा में अनियमितता के कारण धान की खेती प्रभावित हो रही है।
जिसके कारण किसान खेत से निकलकर अपनी रोजी रोटी के लिए निकलने पर मजबूर हैं और उन्होंने कहा कि इस जलवायू परिवर्तन में मिलेट (गुंडुली, मडुवा, तिलाई गंगई) एक विकल्प खेती है जो स्वस्थ्य के साथ साथ मानव की भूख मिटाने में कारगर साबित हो सकता है। और मंझारी के किसानों ने कहा कि कुछ साल पहले भी इसी तरह की अकाल की स्तिथि देखी गई थी इस दौरान भी लोग मिलट (गुंडली कोदे एवं चामा) खाकर ही अपनी भूख मिटाया था।
परंतु उन्हें यह पता नही था की यही मिलेट है और इसके महत्व को नहीं समझ पाने के कारण आज इसकी खेती को छोड़ रहे हैं, परन्तु इस कार्यशाला से जानकारी मिलने के बाद इसकी खेती पुनर्बहाल करने की बात कही गई।
इस कार्यशाला में राजेंद्र चंपिया, सुनील पूर्ति, गुरुचरण बागे, सुखलाल बरुआ पीताम्बर बिरुआ, खुशबू गागराई आदि शामिल थे।