हां यह वही रंजित रंजन प्रसाद है जिसकी चर्चा बड़े बड़े माफिया ठिकेदार और माफिया अभियंता के बीच होती है
योजना स्वीकृत में भारी विलम्ब किए जाने तथा निविदा निष्पादन में भी अनावश्यक विलम्ब किए जाने की जॉच की मांग जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सोना राम सिकु ने विभागीय सचिव से की है
चाईबासा/संतोष वर्मा: ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री आलमगिर आलम और मंत्री के आप्त सचिव संजीव कुमार लाल के नजदीकी और राजदार के रूप में पहचान बना चुके विभाग के संयुक्त सचिव रंजित रंजन प्रसाद को अब तक ईडी के गिरफ्त में नहीं आने से माफिया तबके के प्रशासनिक अधिकारियों का मनोबल बढ़ा हुआ है।
हां यह वही रंजित रंजन प्रसाद हैं, जिसकी चर्चा बड़े बड़े माफिया ठिकेदार और माफिया अभियंता के बीच होती है। हां यह वही रंजित रंजन प्रसाद हैं जिसकी इजाज़त के बिना टेंडर डिसाइड नहीं होता है और न ही किसी डिविजन या योजना में आवंटन दिया जाता है। हां यह वही रंजित रंजन प्रसाद हैं जिसकी तूती सिर्फ विभाग में ही नहीं बल्कि कार्मिक विभाग में भी बोलती है।
हां यह वही रंजित रंजन प्रसाद हैं जिसके डेरा में अभियंता प्रमुख, मुख अभियंता के साथ साथ कार्यपालक अभियंता दरबारी करते हैं। रंजित रंजन प्रसाद के रुतबा बहुत बड़ा होने और विभाग के साथ साथ सरकार में चलती होने के पीछे विभागीय मंत्री और संजीव कुमार लाल के खासमखास होना बताया जाता है। अब तक रंजित रंजन प्रसाद ईडी के गिरफ्त में नहीं आने से राज्य के दिग्गज नेता, अभियंता, पदाधिकारी आश्चर्य चकित हो रहें हैं।
विभागीय मंत्री आलम और संजीव कुमार लाल की घटना से पहले रंजित रंजन प्रसाद के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का समाचार मीडिया में आ चुका है, जिसे सूत्रो के अनुसार रंजित रंजन प्रसाद ने अपनी ऊंची पहुंच और पैरवी से मैनेज कर लिए हैं। संजीव कुमार लाल के करीबी होने के कारण विभाग ने आंतरिक वित्तीय सलाहकार भी नियुक्त कर दिया है। जिसके कारण रंजित रंजन प्रसाद के बिना कोई आवंटन विमुक्त की स्वीकृति नहीं होती है।
सूत्रो की माने तो संजीव कुमार लाल के इशारे पर टेंडर मैनेज करने और कमिशन वसुली का काम को अंजाम दे रहे थे।योजना स्वीकृत में भारी विलम्ब किए जाने तथा निविदा निष्पादन में भी अनावश्यक विलम्ब किए जाने की जॉच की मांग जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सोना राम सिकु ने विभागीय सचिव से की है।