मंत्री दिपक बिरूवा, सांसद जोबा माझी, विधायक दशरथ गगराई, विधायक रामदास सोरेन या फिर कोई और?
चाईबासा/संतोष वर्मा: कोलहान टाईगर सह पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल होने की खबर के बाद जहां झारखंड में सियासी गर्मागर्मी लगातार बढ़ रही है. वहीं अब झामुमो कोलहान टाईगर के बाद कौन संभालेगी कोलहान उसकी खोज में लग गई है।हलांकी चंपाई सोरेन की जगह झामुमों नें विधायक रामदास सोरेन को मंत्री बनाने की तैयारी कर ली है और सभंवत कल राम दास सोरेन को मंत्री पद का सपथ भी दिलाए जाने की चर्चा है.
हलांकि इन दिन चंपाई सोरेन ही चर्चा का विषय बने हुए है।इसी बीच दिल्ली से वापस लौट चंपाई सोरेन ने देर रात झामुमो के सभी पदों से अपना इस्तिफा दे दिया है. तो वहीं दूसरी तरफ झामुमो चंपाई सोरेन से जुड़े मामलों में बिल्कुल चुपी साधे है.
चंपाई सोरेन के बाद कोल्हान में कौन संभालेगा झामुमो की कमान! चंपाई का विकल्प ढूंढने में लगी हुई है. जाहिर है झामुमो अब कोल्हान में चंपाई का विकल्प तलाशने में जुटी है. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कोल्हान में वह कौन सा चेहरा है, जो भाजपा में शामिल हुए कोल्हान के टाइगर को टक्कर दे सकता है.
चंपाई का विकल्प होगा कौन?
आपकों बता दें कि झारखंड में विधानसभा चुनाव का समय नजदीक है. इस लिए पार्टी किसी ऐसे चहरे कि तलाश में है जो कोल्हान की धरती में जनमा हो. जिसका नाम कोल्हान के एक-एक जनता के जुबान पर हो. लेकिन सवाल यहीं आकर थम जाता है कि चंपाई का दूसरा विकल्प होगा कौन ? क्या जेएमएम “हो” बहुल कोल्हान में एक “हो” चेहरे पर दांव खेलेगी. या फिर एक “संताली” की विदाई के बाद दूसरे “संताली” चेहरे को सामने कर झामुमो जख्म पर मरहम लगाने की कवायद करेगी. ऐसे में चलिए एक नजर डालते है उन नामों पर जो चंपाई सोरेन के विकल्प के रूप में सामने आ सकते है.
इन नामों पर चर्चा तेज
रामदास सोरेन: इस लिस्ट में सबसे पहला नाम घाटशिला के वर्तमान विधायक रामदास सोरेन का आ रहा है. जिसका एक मुख्य कारण यह है कि रामदास सोरेन भी उसी समुदाय से आते है. जिससे चंपाई सोरेन आते है. रामदास सोरेन का चंपाई सोरेन की तरह संथाली आदिवासी होना संथाल वोटरों में उनकी पकड़ को मजबूत कर सकता है. और चंपाई के भाजपा में शामिल होने के बाद जो नुक्सान जेएमएम को हुआ है उसकी भरपाई करना.
दीपक बिरुआ: इस विकल्प में दूसरा नाम राज्य में वर्तमान परिवहन मंत्री दीपक बिरुआ का है. जिसका मुख्य कारण है कि दीपक बिरूआ तीन बार से लगातार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे है. वहीं एक और मुख्य कारण यह हो सकाता है कि जिस “हो” समुदाय कि संख्या कोल्हान में काफी अधिक है और दीपक बिरूआ उसी समुदाय से आते है. वहीं हो जाती से आने के बाद भी वह आदिवासी मूलवासी के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहते है. जिसके कारण आदिवासियों में उनकी लोक प्रियता और नेताओं के मुकाबले काफी अधिक है.
दशरथ गागराई: इस विकल्प में तीसरा नाम खरसांवा विधायक दशरथ गागराई का आ रहा है. दशरथ गागराई पर भी झामुमो दांव खेल सकती है. वैसे “हो” चेहरे के रूप में दीपक बिरूआ कोल्हान में सबसे बड़े चेहरे है. लेकिन दीपक बिरूआ को पहले ही मंत्रिमंडल में जगह मिल चुकी है. ऐसे में झामुमो दशरथ गागराई पर दाव खेल सकती है. साथ ही दशरथ गागराई महागठबंधन छोड़ भाजपा में शामिल होने पूर्व सांसद गीता कोड़ा के वोट बैंक को भी साध सकते है.
जोबा मांझी: इस लिस्ट में चौथा नाम लंबे समय से साथ रहने वाली जोबा मांझी का आ रहा है. जोबा मांझी वर्तमान में सिंहभूम लोकसभा सीट से सांसद है. साथ ही जोबा मांझी पूर्व में हेमंत कैबिनेट में मंत्री रह चुकी है. उन्होंने जेएमएम को उस मुश्किल वक्त में जीत दिलाई है जब लोकसभा चुनाव से पहले गीता कोड़ा ने पाला बदल कर भाजपा का दामन थाम लिया था. सिंहभूम सीट पर जेएमएम की जीत के बाद से हेमंत सोरेन का भरोसा जोबा मांझी पर काफी ज्यादा बढ़ गया है. ऐसे में यह हो सकता है कि विधानसभा के चुनाव में जोबा मांझी को कोल्हान में रणनीति बनाने का कमान सौंपी जा सके.
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