कौन है रोमा चकवर्ती सोनुवा के लेखापाल जिस पर 6.24 लाख रूपये की अवैध निकासी कर लेने का लगा आरोप , डीसी समेत उच्च अधिकारियों से की गयी है शिकायत
पश्चिमी सिंहभूम जिला का शिक्षा विभाग में शिक्षा के मंदीर में शिक्षा का अलख जगाने का काम कम और लूट का चारागाह बनाने में ज्यादा मशगुल हैं विभाग के पदाधिकारी
कहीं पीएमश्री के नाम पर करोड़ो रूपये की निकासी हो गई तो कहीं लोहरदगा के सफ्लाईरों के नाम पर किया जा रहा फर्जीवारा बिल की निकासी
संतोष वर्मा
Chaibasa : पश्चिमी सिंहभूम जिला में शिक्षा विभाग इन दिनों पदाधिकारियों से लेकर लेखापालों के लिए मुद्रा दोहन करने वाला विभाग बन गया है.हो भी क्यों नहीं जब बड़े मियां ही सुभानअला है तो छोटे मिंया की बात किया.कोई लोहरदगा से सफ्लाईर मगां पर फर्जीवारा कर पैसे की निकासी कर रहा है तो भाई भतिजा और चाचा के नाम पर सरकारी पेसे का घोटाला करनें मशगुल है.लेकिन मजे की बात यह है की शिकायत के बाद भी इस विभाग में घोटाला करने वाले पदाधिकारियों पर ना सरकार का डण्डा घुमता है और ना जिला के पदाधिकारियों का,सब केवल जांच के आंच में जल जातें है.अब एक नया घोटाला पश्चिमी सिंहभूम जिले की झारखंड शिक्षा परियोजना एक बार फिर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर चर्चा में है. इस बार सोनुआ प्रखंड के लेखापाल रोमा चक्रवर्ती पर 6 लाख 24 हजार रुपये की अवैध निकासी का गंभीर आरोप लगा है.इस मामले में जिले के उपायुक्त के साथ-साथ राज्य के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री और राज्यपाल के प्रधान सचिव को शिकायत पत्र भेजा गया है.शिकायतकर्ता का आरोप है कि लेखापाल ने विद्यालयों के इक्को क्लब और पीटीएम मद की राशि गलत तरीके से निकाली. उन्होंने दावा किया कि शिक्षकों द्वारा दिये गये वेंडरों के बिल को अमान्य बताते हुए अपने पसंदीदा वेंडर के बिल पर जबरन हस्ताक्षर कराये गये और फिर PFMS पोर्टल पर खुद से ही बिल अपलोड कर राशि की निकासी कर ली गयी.शिकायत में यह भी कहा गया है कि इस निकासी की जांच PFMS पोर्टल पर किये गये लॉगिन और IP एड्रेस से आसानी से की जा सकती है. शिकायत में यह भी कहा गया है कि जब शिक्षकों ने अपने स्कूलों के इक्को क्लब और पीटीएम की राशि की मांग की तो उन्हें यह कहकर टाल दिया गया कि राशि लैप्स हो चुकी है.इतना ही नहीं, विद्यालयों को मिलने वाली अनुदान राशि में भी अनियमितता बरती गयी है. आरोप है कि लेखापाल द्वारा प्रत्येक विद्यालय को 4 से 8 हजार रुपये से लेकर 25,000 रुपये तक की राशि का भुगतान मनमाने ढंग से किया गया. गौरतलब है कि इससे पहले भी लेखापाल रोमा चक्रवर्ती पर कई बार वित्तीय गड़बड़ियों को लेकर शिकायतें हो चुकी हैं, लेकिन अब तक उन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.