अस्मिता, अस्तित्व और पहचान को संरक्षित करने के लिए ग्रामीणों ने की ग्राम सभाः बिरसा गोडसोरा


चाईबासा: ईचा खरकई बांध विरोधी संघ कोल्हान के द्वारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार डाकुवा द्वारा डकारा करने के पश्चात्। सरायकेला खरसावां के राजनगर अंचल अंतर्गत मौजा- सरजोमडीह में ग्राम मुंडा श्री साधु पाड़ेया जी की अध्यक्षता में मौजा के हातु दुनुब अकड़ा में खूंटकट्टी अधिकार युक्त रैयत, ग्राम / मौजा के मूल प्रवृत्तकों के वंशजों, बंदोबस्त रैयतों, अधिभोगी रैयतों या ग्राम के वास्तविक मूल भूस्वामियों (खतियानी रैयतों, आदिवासियों - मूलनिवासियों जिन्हे भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ी जाति के रूप में सूचीवद्ध किया गया है) के साथ स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना (ईचा खरकई बांध परियोजना) से उक्त ग्राम में आदिकाल से अस्थित्वयुक्त अधिकार रखने वालों पर प्रतिकूल प्रभावों, संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों पर पड़ने वाले प्रभावों, कुप्रभावों के मद्देनजर ग्राम सभा की बैठक बुलाई गई।


बैठक को संबोधित करते हुए संघ के सह कोषाध्यक्ष बिरसा गोडसोरा ने कहा कि संघ ईचा डैम रद्द करने हेतु व अस्मिता,अस्तित्व और पहचान को संरक्षित करने के लिए ग्रामीणों द्वारा ग्राम सभा किया जाना जरूरी है। जनजागरण और जनांदोलन के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक कर आंदोलन को मजबूत कर रही है। राजनगर प्रखर के डूब क्षेत्रों में लोगों को संगठित कर हेमंत सरकार की शव यात्रा जल्द निकाली जाएगी। तथा अन्य इन बिंदुओं पर  विस्तार से चर्चा की गई।

ग्राम सभा की बैठक में मुख्य रूप से ग्रामीण मुंडा साधु पाड़ेया, बिरसा गोडसोरा, सुनील बाड़ा, हरिपति तियू, सुनील तियू, मानी तीयू, नीति तियू, राजा देवगम, रायमानी देवगम, टुनू बोदरा, पूनम बोदरा, हरिचरण कालुंडिया आंदोलनकारी सदस्य और ग्रामीण उपस्थित थे।

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