प्रखंड व अंचल कार्यालय में पदस्थापित बाबू को नहीं मिलता है जिला में जगह
चाईबासा/संतोष वर्मा: एक ओर जहां चुनाव अयोग का सख्त निर्देश है की जो भी अधिकारी पदाधिकारी या कर्मचारी एक स्थान पर तीन वर्ष से अधीक समय तक पदस्थापित है तो उन्हें बदल दें,लेकिन पश्चिमी सिंहभूम जिला मुख्यालय के विभिन्न विभाग के कार्यालयों में पदस्थापित बड़ा बाबुओं का तबादला क्यों नहीं होती। जिले में चल रहा है बाबुओं का सिंडिकेट प्रखंड व अंचल कार्यालय में पदस्थापित बाबू को नहीं मिलता है जिला में लगातार उपेक्षा के शिकार कर्मी की व्यथा हो रही है जगजाहिर।
इन सिंडिकेट की बात ना मानने वाले कर्मी का हो जाता है जिला मुख्यालय से अन्यत्र ट्रांसफर। कई कर्मी तो इससे निजात पाने के लिए अंतर जिला भी करवा चुके हैं अपना पदस्थापना।एक नजर में देखें तो जिले के प्रमुख विभागों/शाखाओं में बरसों से जमे बाबू का क्यों नहीं होता जिला से इतर पोस्टिंग, इनके आलीशान मकान आपको सोचने पर कर देंगे मजबूर। स्थानांतरण की भनक लगते ही सिफारिश का दौर होता है प्रारंभ, जिले के आला अधिकारी भी हो जाते हैं खामोश। टेबल बदल ना जाए, इसके लिए हड़ताल अवधि में भी छुप-छुप कर करते रहे कार्य निष्पादन और अपने साथियों को देते रहे धोखा।
स्थापना शाखा, सामान्य शाखा, योजना शाखा, पंचायत कार्यालय, निर्वाचन कार्यालय, आईटीडीए कार्यालय, सांख्यिकी कार्यालय, भू अर्जन कार्यालय, राजस्व कार्यालय, गोपनीय कार्यालय, नीलम पत्र वाद कार्यालय सहित अन्य जगहों पर बरसों से एक ही जगह पर जमे हैं बाबू। कागज पर होता है पदस्थापना परंतु प्रतिनियुक्ति के सहारे जमे रहे हैं। इन सभी के व्यवहार से प्रखंड/अंचल में पदस्थापित कर्मी अपने आप को उपेक्षित कर रहे हैं महसूस।
सूत्रों की माने तो गोपनीय कार्यालय बना हुआ है नेटवर्किंग का अड्डा, साहब का रौद्र रूप बताकर और उसके उपाय के रूप में जिला एवं प्रखंड के पदाधिकारी को भी नेटवर्किंग में किया गया है शामिल। सरकारी वाहन का धरल्ले से दुरुपयोग कर होता है सारा काम। आरटीआई के जवाब को भी देना मुनासिब नहीं समझते हैं। इन सारी व्यवस्था से प्रखंड/अंचल के कर्मियों में है काफी नाराजगी। कहते हैं हम में भी है योग्यता, परंतु अपने ही साथियों के कारण हो रहे हैं उपेक्षा के शिकार।