जेएसआरआरडीए और ग्रामीन कार्य विभाग में आठ आठ महिना से टेंडर डिसाइड नहीं किया जा रहा, माननीय को आचार संहिता लागू होने का डर सता रही है

निविदा प्रक्रिया को समय पर पुरा करने में झारखंड सरकार सबसे पीछे है, यानी की झारखंड सरकार टेंडर डिसाइड करने में फिसड्डी साबित हो रही है


चाईबासा/संतोष वर्मा: निविदा प्रक्रिया को समय पर पुरा करने में झारखंड सरकार सबसे पीछे है, यानी की झारखंड सरकार टेंडर डिसाइड करने में फिसड्डी साबित हो रही है। हां पश्चिमी सिंहभूम जिला के साथ साथ पुरे झारखंड में ग्रामीण कार्य विभाग के अधीन सभी कार्यकारी एजेंसी में आठ आठ महिना से टेंडर डिसाइड नहीं किया जा रहा है। विशेष कर जेएसआरआरडीए में इस तरह का मामला अधिक है। विधानसभा चुनाव होना है, कभी भी चुनाव आयोग के द्वारा चुनाव की तिथि का घोषणा कर दिया जायेगा, जिससे की राज्य में अचार संहिता लागू हो जायेगा, ऐसे में माननीय लोग ग्रामीण कार्य विभाग के पास और विभागीय अधिकारियों के पास हाजरी लगाने पर मजबुर हैं। इस सम्बद्ध में ग्रामीन कार्य विभाग के अभियंता प्रमुख और जेएसआरआरडीए के मुख्य अभियंता जेपी सिंह के ऑफिस कक्ष में कांग्रेस को दो विधायक अकेला जी और सोना राम सिंकु को जेपी सिंह से भेंट करने के लिए घंटों इंतज़ार करने के बाद बैरंग लौटना पड़ा।


झारखंड में अफसरशाही हावी होता दिखने लगा है। सरकार चुनाव मोड में आ चुकी है, सिर्फ़ घोषणा ही घोषणा का बाज़ार में मस्त है। जो योजना स्वीकृत किया जा चुका है, निविदा निकाला गया है, संवेदक भाग लिए हैं, लेकिन निविदा का निष्पादन नहीं किया जा रहा है। आज भी कमिशन के चलते टेंडर प्रक्रिया को पेंडिंग रखने की बात सामने आ रही है। संवेदक सुत्र बताते हैं कि भाजपा के सरकार से इस सरकार में कमिशन दो गुना बढ़ गया है। आज सत्ता पक्ष के दल जनता की गाढ़ी कमाई के टैक्स की राशि को विकास योजना की राशि की कमिशन से राजनितिक चमकाने में लगे हैं, यूं कहा जा सकता है कि कमिशन से विधान सभा चुनाव जीतने की कोशिश हो रही है। ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य प्रमंडल चाईबासा के साथ साथ अन्य प्रमंडलों में आठ आठ महिना से निविदा लटका हुआ है, इस उदासीनता और लापरवाही बरतने वाले पर दंडनात्मक करवाई क्यों नहीं किया जा रहा है।

आज इस सरकार में सत्ता पक्ष के माननीय लोगों की स्थिती खराब है, कोई सुनने वाला नहीं है। यदी समय पर निविदा का निष्पादन होने से विकास कार्य शुरू होता, साथ ही क्षेत्र में कई स्तर पर रोजगार का सृजन होता, आर्थिक संपन्नता आता, जनता के बीच खुशहाली आती लेकिन सरकार को और अफसरशाही को इससे कोई मतलब नहीं है, कियूंकी यह तो गरीब आदिवासी के क्षेत्र का मामला है, किसी को इसकी किया चिन्ता है। धरातल पर किए जाने वाले विकास कार्य को बाधा उत्पन्न करने वाले असामाजिक तत्वों पर अपराध दंड संहिता के आधार पर एफआईआर दर्ज कराई जाती है, क्या स्वीकृत योजन और निविदा प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से रोक के रखने वाले पर विकास कार्य को बाधा उत्पन्न करने जैसा अपराध मानते हुए दंडनात्मक करवाई करेगी, यह सवाल सरकार को अपने ही कटघरे में खड़ा करती है।

Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post