सौ करोड़ का कार्य करने वाली एजेन्सी को जिला प्रशासन क्यों सहायक और कर्मचारी की प्रतिनियुक्ति नहीं कर पा रही है
चाईबासा/संतोष वर्मा: एक सहायक के भरोसे जिला प्रशासन ने दिया राष्ट्रीय ग्रामीण नियोजन कार्यक्रम, चाईबासा को सौ करोड़ से भी अधिक की डीएमएफटी योजना का कार्य दिया है।कार्यपालक अभियंता ने कार्यालय हित में सहायकों की प्रतिनियुक्ति करने हेतु पत्र लिखकर मांगा है, परन्तु जिला प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं लिया है। लेखा पदाधिकारी, लेखा पाल, रोकड़पाल जैसे कर्मचारी की घोर आवश्यकता है, लेकिन आश्चर्य की बात है कि जिला प्रशासन मात्र एक सहायक पर पुरे सिस्टम को चलाना चाहती है।
ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन के अधीन कोई ऐसा योग्य सहायक नहीं है,जो NREP में सेवा देने लायक हो। फर्जी विपत्र, लेखा संधारण में त्रुटि, संचिका का निष्पादन और संधारण में अनियमितता से इनकार नहीं किया जा सकता है। आने वाले समय में लाखों का फर्जी विपत्र पारित कर भुगतान का मामला सामने आने से चौकने जैसा कुछ भी नहीं होगा।
आज किसी भी कार्यकारी एजेंसी के पास कम से कम दस सहायक कर्मचारी कार्यरत हैं। इतना स्वीकृत बल किस लिए है,यह जिला प्रशासन को सोचना चाहिए।NREP का भी स्वीकृत बल होगा, जिसके अनुपात में बहाली या कार्य हित में प्रतिनियुक्ति किया जाना चाहिए। ऐसा लगता है कि जिला प्रशासन अपने ही एजेन्सी को पंगु हालत में रखना चाहती है।आज कार्यपालक अभियंता की हालत ऐसी है कि समय पर कोइ कार्य का निपटारा नहीं कर पा रहे हैं।
सूत्रो के अनुसार दिलीप हेंब्रम अपने ऊंची पहुंच और पैरवी के बल पर स्थापना शाखा में किसी को नहीं आने देने के लिए सेट कर रखा है। विडंबना यह है कि हेंब्रम तीन साल से प्रतिनियुक्ति पर है।जिला प्रशासन को मैनेज कर स्थापना शाखा से किसी भी सहायक की प्रतिनियुक्ति करने का प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डलवा देते हैं।