डेस्क रांची/संतोष वर्मा: झारखंड में मंत्रीमंडल विस्तार गुरूवार को हो गया. झामुमो से छह, कांग्रेस से चार और राजद से एक विधायक ने मंत्री पद की शपथ ली. इसके साथ ही झारखंड कांग्रेस पर टूट का खतरा मंडराने लगा है. बताया जाता है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस को पार्टी के तौर पर झारखंड की सत्ता में अपनी भागेदारी गंवानी पड़ सकती है.
हलांकि टूट का अंदेशा निराधार नहीं है. इसके संदेश शपथ ग्रहण समारोह में भी दिखा. कांग्रेस के 16 विधायकों में से अधिकांश ने समारोह से दूरी बना ली. हालांकि अभी कोई कुछ भी खुल कर बोलने को तैयार नहीं है. इनमें अधिकांश विधायक रांची में मौजूद रहें, लेकिन राजभवन नहीं पहुंचे. सूत्रों के अनुसार मान-मनौव्वल का दौर जारी है.
कांग्रेस विधायकों की नाराजगी की कई वजहें हैं, पर दो वजहें प्रमुख हैं. पहली वजह यह है कि सामान्य जाति से किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है. वैसे देखा जाये तो पूरे मंत्रिमंडल में सामान्य जाति से कोई मंत्री नहीं है. दीपिका पांडेय सिंह को ओबीसी माना जा रहा है.
दूसरी बड़ी वजह दूसरे दल से टूट करके कांग्रेस में आने वाले विधायक को तरजीह देना बताया जा रहा है और इस सबके लिए कांग्रेस से शीर्ष नेतृत्व को जिम्मेदार माना जा रहा है. राधा कृष्ण किशोर अलग-अलग समय में दल बदलते रहे हैं. वह वर्तमान सरकार में भी मंत्री बने हैं. मंत्री पद की शपथ लेने वाले इरफान अंसारी को लेकर कहा जा रहा है कि पिछली सरकार में उन्होंने सरकार को अस्थिर करने में किस तरह के काम किये थे, वह जग जाहिर है. पार्टी ने उनके खिलाफ कार्रवाई भी की थी.
वहीं कोलहान से एक लौता विधायक सोनाराम सिंकु दिग्गज नेता सह पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के पत्नी गीता कोड़ा को हरा कर कांग्रेस का साख बचाने का काम किया लेकिन पार्टी के शिर्ष नेता कोलहान के एक लौता विधायक सोनाराम सिंकु को मंत्री ना बना कर कोलहान वासियों के साथ भेद भाव बरतने का काम किया.
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