*चाईबासाःजिले में सभी विकास कार्य केवल डीएमएफटी (DMFT) फंड और कैंपा (CAMPA) फंड के भरोसे चल रहे हैं,ःपूर्व सांसद गीता कोड़ा*
**जनप्रतिनिधियों की गैर-जिम्मेदारी से जनता ग्रस्त* – पूर्व सांसद गीता कोड़ा
*डीएमएफटी (DMFT) फंड और कैंपा (CAMPA) फंड के भरोसे चल रहे हैं, और इन फंडों का भी सुनियोजित तरीके से बंदरबांट करने के लिए ही इस प्रकार की औपचारिक बैठकें आयोजित की जा रही हैं*
*मामला शुक्रवार को लोकसभा व विधानसभा चुनाव होने के बाद दिशा को लेकर हुई बैठक का*
संतोष वर्मा
Chaibasaःपश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय में हाल ही में सम्पन्न दिशा बैठक में जिले के विकास से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इस पर पूर्व सांसद श्रीमती गीता कोड़ा ने जिले के जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि “जनता के साथ विश्वासघात किया जा रहा है। जनता की बुनियादी समस्याओं की अनदेखी इन जनप्रतिनिधियों की गैर-जिम्मेदारी और उदासीनता का परिणाम है।
*गीता कोड़ा ने गंभीर आरोप लगाया कही कि*
सभी विकास कार्य केवल डीएमएफटी (DMFT) फंड और कैंपा (CAMPA) फंड के भरोसे चल रहे हैं, और इन फंडों का भी सुनियोजित तरीके से बंदरबांट करने के लिए ही इस प्रकार की औपचारिक बैठकें आयोजित की जा रही हैं। हजारों करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद जिले की जनता आज भी शुद्ध पेयजल जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित है। योजनाओं में भ्रष्टाचार चरम पर है और जमीनी स्तर पर पारदर्शिता का पूरी तरह अभाव है। जनप्रतिनिधियों के पास विकास का कोई ठोस रोडमैप नहीं है। हर साल सिर्फ कागजी योजनाएँ बनती हैं, लेकिन धरातल पर कोई बदलाव नहीं दिखाई देता।उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पर न कोई ठोस कदम उठाया गया और न ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के आधुनिकीकरण की दिशा में प्रयास किए गए। सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी, सड़क और परिवहन सुविधाओं का अभाव, कृषि क्षेत्र में किसानों की लगातार अनदेखी — सब कुछ जनप्रतिनिधियों की विफलता को उजागर करता है।
युवाओं के स्वरोजगार और कौशल विकास कार्यक्रम सिर्फ घोषणाओं तक सीमित रह गए हैं।
पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने स्पष्ट चेतावनी दी कि* ,भारतीय जनता पार्टी इस जनविरोधी रवैये को चुपचाप नहीं देख सकती। उन्होंने कहा कि *“भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन और जनता की उपेक्षा* के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी जनता के साथ मिलकर जोरदार आंदोलन करेगी। अब जनता भी सवाल पूछेगी और जवाब मांगेगी।”उन्होंने अंत में कहा कि जनता को अब समझना होगा कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि विकास के प्रति कितने गैर-जिम्मेदार हैं, और वक्त आ गया है कि इस भ्रष्ट और विफल नेतृत्व की कार्य शैली को बेनकाब किया जाए।