जगन्नाथपुर बीडीओ के द्वारा विकास योजनाओं की जांच रिपोर्ट भेजने के नाम पर संवेदकों से एक पर्सेंट कमीशन की मांग करने से संवेदक स्थानीय विधायक के साथ साथ विभाग तक मामला पहुंचा
जगन्नाथपुर प्रखंड विकास पदाधिकारी चार माह से भी अधिक समय से DMFT की योजना का भौतिक सत्यापन का रिपोर्ट जिला को नहीं भेजे हैं
मुखियागण बीडीओ के खिलाफ बिगुल फूंक सकते हैं, बीडीओ के द्वारा अव्यवहारिक होने का भी आरोप लगाया जा रहा है: सुत्र
बीडीओ जिला प्रशासन के नाम पर भी वसूली कर रहे हैं। सुत्रभ्रष्टाचार नीति के कारण सत्यम कुमार पर कई मामले दर्ज किए गए हैं: सूत्र
समय पर जांच रिपोर्ट नहीं भेजने पर अनुशासनिक कार्रवाई के तहत प्रपत्र क भरने की हो सकती है अनुशंसा: सुत्र
मनरेगा में फर्जी बोर्चर पर भुगतान का मामला की भी चर्चा हो रही है, जांच की आंच बीडीओ को जला सकती है: सुत्र
कमिशन वसूली अभियान में जगन्नाथपुर प्रखण्ड सबसे आगे, और विकास अभियान में सबसे पीछे: सुत्र
सत्यम कुमार, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी, जगन्नाथपुर ने अपने भ्रष्ट कार्य शैली से बहुत ही कम समय में नाम और शोहरत हासिल करने में सफल होते नज़र आ रहे हैं
Chaibasa/Santosh Verma: जगन्नाथपुर प्रखण्ड में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर पहुंचने की खबर ग्रामीण विकास विभाग तक पहुंच चुकी है। हां यह वही प्रखंड विकास पदाधिकारी हैं, जिसकी कई कहानी भी है। जहां भी रहें हैं, वहां कई तरह से गुल खिला चुके हैं,ग्रामीणों और नेता के विरोध के बाद इनका स्थानांतरण होता रहा है। भ्रष्टचार में लिप्त होने के कारण कई आरोप भी हैं।
सूत्रों के अनुसार जिला स्तर से संचालित योजन की राशि विमुक्त करने से पूर्व बीडीओ से जिला प्रशासन के द्वारा जांच कराया जाता है, इसी क्रम में बीडीओ के द्वारा विकास योजनाओं की जांच रिपोर्ट भेजने के नाम पर संवेदकों से एक पर्सेंट कमीशन की मांग करने से संवेदक स्थानीय विधायक के साथ साथ विभाग तक मामला पहुंचा दिए जाने की बात कही गई है। कई योजना ऐसी है कि चार माह से भी अधिक समय बीतने के बाद भी बीडीओ कमीशन के चक्कर में जिला को भौतिक सत्यापन का रिपोर्ट नहीं भेजे हैं, जो जांच का विषय है।
सूत्रों के अनुसार निकट समय में बीडीओ के और भी कई भ्रष्टाचार के मामले को मुखियागण उजागर करने वाले हैं। सूत्रों के अनुसार मनरेगा की जांच में बीडीओ का फंसना तय माना जा रहा है, वहीं वेंडर के भुगतान का मामला में जीएसटी घोटाला यानी फर्जी बोर्चर पर बिल पास करने का मामला सामने आ सकता है। जांच रिपोर्ट समय पर नहीं भेजने के कारण बीडीओ पर क प्रपत्र भरने की कार्रवाई भी की जा सकती है यानि निलंबन की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। जांच रिपीट नहीं भेजने से संवेदकों का भुगतान अधर पर लटका हुआ है।