Chaibasa: राष्ट्रीय अध्यक्ष इपिल सामड ने ग्रामीणों से कहा गाँव-गाँव में बाहरी धर्मों के अवैध इंट्री के कारण मूल-संस्कृति नष्ट होती जा रही है

बोल-बम, दुर्गापूजा, दीवाली एवं सरस्वती पुजा जैसे कार्यक्रम के बहाने "हो" समाज में हो रहे धार्मिक भटकाव और हिन्दुकरण की गतिविधियों को रोकने के लिए आदिवासी "हो" समाज युवा महासभा की टीम ने गितिकिन्दु मुण्डा टोला में सामाजिक जागरूकता अभियान चलाया


राष्ट्रीय अध्यक्ष इपिल सामड ने ग्रामीणों से कहा गाँव-गाँव में बाहरी धर्मों के अवैध इंट्री के कारण मूल- संस्कृति नष्ट होती जा रही है



चाईबासा: बोल-बम, दुर्गापूजा, दीवाली एवं सरस्वती पुजा जैसे कार्यक्रम के बहाने "हो" समाज में हो रहे धार्मिक भटकाव और हिन्दुकरण की गतिविधियों को रोकने के लिए आदिवासी "हो" समाज  युवा महासभा की टीम ने गितिकिन्दु मुण्डा टोला में सामाजिक जागरूकता अभियान चलायी। विशेषकर युवाओं के धार्मिक भटकाव तथा आदिवासी गाँवों में हिन्दुत्व बढ़ने से आदिवासी भाषा-संस्कृति पर बुरा प्रभाव और सामाजिक नुकसान के बारे में लोगों को जगाने का प्रयास किया गया और किसी भी जाति-धर्म का सम्मान देना जरूरी है, मगर उसके परंपरा का बेवजह हिस्सा न बनने का नसीहत दिया गया।

अभियान को आदिवासी "हो" समाज युवा महासभा  के जगन्नाथपुर अनुमंडल अध्यक्ष बलराम लागुरी के नेतृत्व में चलाया गया.अभियान को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष इपिल सामड ने ग्रामीणों से कहा गाँव-गाँव में बाहरी धर्मों के अवैध इंट्री के कारण मूल- संस्कृति नष्ट होती जा रही है। जिससे  हमारी मूल-संस्कृति को मानने लोगों की संख्या भी घट रही है। आदिवासी गाँव में हिन्दुत्व न फैलायें, इसको लेकर कई उदाहरण प्रुस्तुत किये और इस पर नियंत्रण हेतु आदिवासी "हो" समाज महासभा के साथ जुड़ने के लिए अपील किया। 

राष्ट्रीय महासचिव गब्बरसिंह हेम्ब्रम ने युवाओं को बताया कि बोल-बम, दुर्गापूजा, दीवाली, सरस्वती पूजा, गौशाला पर्व आदि जैसे त्योहारों और पूजा के नाम पर हमलोग आदिवासी "हो" समाज की ओर निमंत्रण नही देते हैं और न ही "हो" आदिवासियों को उस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। परंतु आप सभी उसमें रात-रात भर समय देते हैं और पैसा भी खर्च करते हैं। एसे गतिविधि में शामिल रहने के वजह से आदिवासी लोग हिन्दु परंपरा और हिन्दु रीति-रिवाज से विवाह, जन्म और मृत्यु जैसे कार्यक्रम को बढ़ावा दे रहे हैं और इससे हमारी आदिवासी संस्कृति पर बाहरी आक्रमण हो रहा है।

उन्होने कहा कि आप भले ही पर्व-त्योहारों को सम्मान करें परंतु उनसे धार्मिक रूप से न जुड़ें। अपनी आदिवासी "हो" समाज की प्राचीन संस्कृति एवं परंपरा को नयी पीढ़ी के बीच जगाने में आदिवासी "हो" समाज युवा महासभा  को आप सभी मदद करें। 

इस जागरूकता अभियान में ग्रामीण मुण्डा सुखदेव लागुरी, डाकुवा पराय अंगरिया, आदिवासी "हो" समाज युवा महासभा सदस्य सुरेश पिंगुवा, मजूरा हेम्ब्रम, रंजीत लागुरी, सिकंदर बोदरा, जामदार पिंगुवा, देवेन्द्र सिंह लागुरी, बलदेव लागुरी, बुधराम पुरती, गोरा लागुरी, लखन अंगारिया, लंकेश लागुरी, गुलाब चंद्र पुरती, जापान सिंह लागुरी, राहुल लागुरी, रेन्सो लागुरी, बुधराम अंगारिया, जयपाल लागुरी, विजय लागुरी, मूल्या लागुरी, माना लागुरी आदि लोग मौजूद थे।

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