जगन्नाथपुर इण्टर कॉलेज में अनुदान राशि की बन्दर बांट किए जाने का मामला विभागीय मंत्री तक पहुंचा, प्रचार्य व सचिव पर लगा गंभीर आरोप
झारखंड भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के प्रदेश अध्यक्ष गणेश प्रसाद ने तेरह वर्षों से वित्तीय अनियमितता बरते जाने की जांच कराने की माँग मंत्री से की है
संतोष वर्मा
Chaibasaःजगन्नाथपुर इण्टर कॉलेज में अनुदान राशि की बन्दर बांट किए जाने का मामला विभागीय मंत्री तक पहुंचा।झारखंड भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति के प्रदेश अध्यक्ष गणेश प्रसाद ने तेरह वर्षों से वित्तीय अनियमितता बरते जाने की जांच कराने की माँग मंत्री से की है। वर्तमान अध्यक्ष सह विधायक माननीय श्री सोना राम सिंकु से अनुदान राशि की बंटवारे पर सहमति नहीं लिए जाने पर सवाल उठाया गया है। ट्रेंड शिक्षिकाओं के मानदेय राशि को कम भुगतान करने और उनके हिस्से की राशि सेवा निवृत को भुगतान करने का आरोप भी है।अनुदान राशि के ट्रांसफर पिऊन के खाते में भेजे जाने तथा बन्दर बांट किए जाने का मामला गंभीर रूप ले सकता है। कॉलेज कमिटी के सचिव सोमा कोड़ा और प्रिंसिपल की मिलीभगत से अनुदान राशि को मनमानी ढ़ंग से सेवा निवृत्त लोगों के खाते में भेजना वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया जा सकता है। ट्रेंड शिक्षिकाओं को कम मानदेय दिए जाने और नॉन ट्रेड को अधिक भुगतान करने का मामला सामने आया है।कॉलेज समिति के वर्तमान अध्यक्ष और क्षेत्रीय विधायक सोना राम सिंकु से अनुदान राशि के वितरण को लेकर सहमति नहीं ली गई, जिससे कॉलेज प्रबंधन की नीयत पर सवाल उठने लगे हैं। आरोप है कि सचिव और प्राचार्य ने आपसी मिलीभगत से अनुदान राशि का मनमाने ढंग से उपयोग किया।एक गंभीर आरोप यह भी सामने आया है कि ट्रेंड शिक्षिकाओं को उनके हिस्से की मानदेय राशि कम देकर उसे सेवानिवृत्त कर्मियों को भुगतान कर दिया गया। यह न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि कर्मियों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार भी है।इसके अलावा यह तथ्य भी सामने आया है कि नॉन-ट्रेंड कर्मचारियों को ट्रेंड शिक्षकों की तुलना में अधिक भुगतान किया गया, जिससे योग्य शिक्षकों के मनोबल पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब यह खुलासा हुआ कि अनुदान की एक बड़ी राशि कॉलेज के एक पिऊन के बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी गई। भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति ने इस घटना को "आर्थिक अपराध" की श्रेणी में रखते हुए एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।अनुमान है कि इस तरह के लेन-देन में अनौपचारिक तरीके से धन का बंटवारा हुआ है, जो कॉलेज प्रबंधन पर भ्रष्टाचार के स्पष्ट संकेत देता है।कॉलेज कमिटी के सचिव सोमा कोड़ा और प्राचार्य की भूमिका पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। दोनों पर यह आरोप है कि उन्होंने आपसी मिलीभगत से अनुदान की राशि को सेवा-निवृत्त कर्मियों और अन्य अनधिकृत खातों में ट्रांसफर करवाया, जिससे सरकारी राशि के दुरुपयोग की आशंका प्रबल हो गई है।झारखंड भ्रष्टाचार उन्मूलन समिति का कहना है कि यदि मामले की जांच नहीं हुई, तो राज्य भर के कॉलेजों में इसी तरह की मनमानी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।गणेश प्रसाद ने कॉलेज के पिछले 13 वर्षों के वित्तीय दस्तावेजों की फॉरेंसिक ऑडिट की मांग की है। उनका कहना है कि सिर्फ सतही जांच से कुछ हाथ नहीं लगेगा। इस प्रकार की अनियमितताओं में डिजिटल और बैंकिंग साक्ष्य अहम होंगे, जिसे बिना विशेषज्ञ जांच के उजागर नहीं किया जा सकता।इस पूरे घटनाक्रम के सामने आने के बाद कॉलेज के शिक्षकों और कर्मियों में भी रोष देखा जा रहा है। कई शिक्षकों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि उन्हें महीनों से पूरा मानदेय नहीं मिला है, जबकि कुछ कर्मियों को अतिरिक्त राशि का भुगतान कर दिया गया।एक शिक्षक ने कहा, "हमने शिक्षा दी, फिर भी हमें कम भुगतान मिला और जो सेवा में नहीं हैं, उन्हें हमारे हिस्से की राशि दी गई। यह अन्याय है।"सूत्रों के अनुसार, विभागीय मंत्री ने इस पूरे प्रकरण की फाइल तलब की है और कहा है कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “मामला गंभीर है, और प्रथम दृष्टया इसमें कई अनियमितताएं दिख रही हैं।"जगन्नाथपुर इंटर कॉलेज का यह मामला न केवल एक संस्थान की साख पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह संकेत भी देता है कि सरकारी अनुदान के दुरुपयोग की घटनाएं अब ग्राम्य क्षेत्रों में भी गंभीर रूप लेने लगी हैं।