डीएमएफटी फंड के बावजूद सारंडा में जल संकट भयावह, अबुआ सरकार और पीएचईडी विभाग पूरी तरह विफलः पूर्व सांसद गीता कोड़ा

डीएमएफटी फंड के बावजूद  सारंडा में जल संकट भयावह, अबुआ सरकार और पीएचईडी विभाग पूरी तरह विफलः पूर्व सांसद गीता कोड़ा

यह केवल पानी की नहीं, आत्म-सम्मान और जीवन के अधिकार की लड़ाई है।अब जनता को सिर्फ वादे नहीं, समाधान चाहिएः पूर्व सांसद गीता कोड़ा


Chaibasa ः सारंडा स्थित गंगदा पंचायत के अंतर्गत आने वाले 14 गांवों के लोगों द्वारा पेयजल की मांग को लेकर सड़क पर बर्तन लेकर उतर आना और मुख्य मार्ग को जाम कर देना इस बात का प्रमाण है कि झारखंड सरकार और पीएचईडी विभाग आम जनता की बुनियादी समस्याओं के समाधान में पूरी तरह असफल रहे हैं। यह स्थिति उस समय और भी शर्मनाक हो जाती है जब करोड़ों रुपये डीएमएफटी (District Mineral Foundation Trust) फंड के रूप में क्षेत्र के विकास और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए आवंटित हैं।पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने इस गंभीर स्थिति पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, " जल संकट, शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोजगारी जैसे गंभीर समस्याओं से खनन क्षेत्र जूझ रहा है,  आज भी लोग चुआं और नालों का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं।"जबकि डीएमएफटी फंड का उद्देश्य ही यही था कि खनन प्रभावित इलाकों को प्राथमिकता देकर वहां आधारभूत सुविधाएं सुलभ कराई जाएं। लेकिन आज भी गंगदा जैसे सुदूर खनन क्षेत्रों में योजनाएं अधूरी हैं, हजारों करोड़ों रुपया की योजना में पाइपलाइनें बिछी पड़ी हैं, टंकी बनीं लेकिन एक बूंद पानी नहीं, और करोड़ों की योजनाएं सिर्फ कागज़ों में सिमटी हुई हैं। जनता लाल पानी पीने पर आज भी विवस है

गीता कोड़ा ने कहा कि, "जब खदानें चलती हैं तो सरकार को रॉयल्टी और फंड चाहिए, लेकिन उन्हीं खनन क्षेत्रों के लोग पीने के पानी के लिए सड़क  पर उतरें, यह शासन व्यवस्था की नाकामी का सबसे शर्मनाक उदाहरण है।" जिस उद्देश्य से डीएमएफटी फंड की स्थापना की गई,उद्देश्य से भटक गया प्रतीत होता है. पूर्व सांसद ने यह भी कहा कि सरकार और पीएचईडी विभाग की निष्क्रियता और असंवेदनशीलता के कारण आज आम जनता त्राहिमाम कर रही है। अगर जल्द ही सारंडा क्षेत्र में अधूरी पेयजल परियोजनाओं को पूरा नहीं किया गया, तो सरकार को जनता के तीव्र विरोध और आंदोलन का सामना करना पड़ेगा।

गीता कोड़ा ने मांग की :


(1) गंगदा पंचायत सहित पूरे सारंडा क्षेत्र की अधूरी पेयजल योजनाओं को युद्ध स्तर पर पूर्ण किया जाय

(2)।  जल संकट से जूझ रहे गांवों में टैंकरों और वैकल्पिक व्यवस्था से अविलंब पानी उपलब्ध कराया जाए।

(3) खनन क्षेत्र के गांवों को पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं से जोड़ना सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है, इससे भागना अब और बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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