पश्चिमी सिंहभूम जिला में एक और बड़ा घोटाला का जल्द होगा खुलाशा? जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा के विकास शाखा की शिकायत गृह मंत्रालय भारत सरकार तक पहुंचने की खबर


पश्चिमी सिंहभूम जिला में एक और बड़ा घोटाला का जल्द होगा खुलाशा? जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा के विकास शाखा की शिकायत गृह मंत्रालय भारत सरकार तक पहुंचने की खबर


केन्द्रीय एजेंसी की नियुक्ति होते ही तत्कालीन उपायुक्त पर गाज गिरना तय माना जा रहा है वहीं डीडीसी और डीपीओ कार्यालय पुरी तरह से जांच के आंच में झुलस सकते हैं


डीपीओ के कार्यालय में कोई भी तकनीकि कोषांग नहीं है, फिर करोड़ों की राशि की सिविल कार्य में किस भरोसे किया गया खर्च, बन्दर बांट से इनकार नहीं किया जा सकता है। सुत्र

श्चर्य यह है कि संवेदक के द्वारा बनाए गए विपत्र के आधार पर भुगतान किया जाता है, विपत्र की जांच किसी अभियंता से जांच नहीं कराए जाने की बात भी कही जा रही है


सूत्रों के अनुसार संवेदक को भुगतान से संबंधित कैश बुक की जांच से घोटाला का पर्दाफाश होने की संभावना है,संवेदक के EMD की राशि की जांच पर संदेह है। सुत्र




संतोष वर्मा

Chaibasa ः जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा के विकास शाखा की शिकायत गृह मंत्रालय भारत सरकार तक पहुंचने की खबर सामने आ रही है। हां इस खबर में दम है। क्यूंकि DMFT फंड से करोड़ों की राशि Geeoln Industried pvt Ltd.Silvassa को  नियम विरुद्ध प्रक्रिया के तहत प्राइमरी स्कूल को आवश्यकतानुसार govt model primary school को नामित किया गया है, इस कार्य आवंटन की प्रक्रिया में pwd code को ताक पर रखते हुए किया गया है,जिसकी शिकायत भाजपा के बड़े नेता के द्वारा की गई है है. जानकार सुत्र मानते हैं कि जल्दबाजी में तत्कालीन उपायुक्त कुलदीप चौधरी योजना की स्वीकृति में अनियमितता बरतने के साथ साथ डीपीओ को कार्यकारी एजेंसी बनाने की भारी गलती की है।




 करोड़ों की राशि लूट की तरह एजेंसी को भुगतान करने की बात कही गई है. टेंडर प्रक्रिया के जगह कागजी खाना पुरती कर जिला प्रशासन और एजेंसी फर्जी तरीके से DMFT फंड की राशि की बन्दर बांट की गई है. अब केन्द्रीय एजेंसी की नियुक्ति होते ही तत्कालीन उपायुक्त पर गाज गिरना तय माना जा रहा है वहीं डीडीसी और डीपीओ कार्यालय पुरी तरह से जांच के आंच में झुलस सकते हैं। इस मामला को भाजपा के पूर्व मंत्री बड़कुवर गगराई ने बहुत ही जोर शोर से मुखर हो कर आवाज उठाई थी, लेकिन प्रशासन इसे नजर अंदाज कर दिया था. तत्कालीन उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने पुरे प्रकरण में आदिवासी समाज के जिला योजना पदाधिकारी श्री टोप्पो को आगे कर आर्थिक स्वार्थ को पूरा करने की बात कही गई है। संवेदक और एजेंसी के बीच pwd code को आधार नहीं बना कर समिति के द्वारा संवेदक नियुक्त किया गया, जिसकी जांच से बड़ा खुलासा होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। रंग रोगन और पेंटिंग के चका चौंध में DMFT फंड की लुट बड़ी चालाकी के साथ की गई है, अब गृह मंत्रालय तक शिकायत पहुंचने से जिला के और भी घोटाला से पर्दा उठ सकता है। जानकार सूत्रों के अनुसार  तत्कालीन उपायुक्त कुलदीप चौधरी पर गृह मंत्रालय की तलवार लटकती नजर आ रही है, वहीं डीडीसी संदेह के घेरे में हैं.

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