मजदूरों की समस्याओं का समाधान 15 दिनों के अंदर नहीं हुआ तो होगा आंदोलन :-झारखंड मजदूर यूनियन
संतोष वर्मा
Chaibasa ः झारखंड मजदूर यूनियन ने आज मंगलवार को एक विशेष बैठक अध्यक्ष दीनबंधु पात्रों की अध्यक्षता में किया गया। बैठक में झारखंड मजदूर यूनियन के महासचिव दुलाल चाम्पिया,कार्यकारिणी सदस्य मधु सिद्धू ,लखन चाम्पिया,सुखराम सिंद्दू,बागी चाम्पिया, साधों देवगम पंकज चाम्पिया के साथ ठेका मजदूर उपस्थित थे। इस दौरान बैठक में उपस्थित ठेका मजदूरों ने टाटा स्टील लिमिटेड विजय टू आयरन और माइंस के सभी वेंडर के द्वारा मजदूरों पर हो रहे शोषण को लेकर अपनी अपनी विभिन्न समस्याओं यूनियन के पदाधिकारी के समक्ष रखा। मजदूरों की समस्याओं को सुनने के बाद झारखंड मजदूरी यूनियन के अध्यक्ष दीनबंधु पात्रों ने कहा कि ठेका मजदूरों को वेंडर के द्वारा मजदूरों का शोषण नहीं किया जाए, टाटा स्टील कंपनी वेंडरों की जांच कर मजदूरों की मिलने वाली सुविधाओं से वंचित न किया जाए, मजदूरों को खदान क्षेत्र आने जाने के लिए गाड़ी की सुविधा दी जाए, मजदूरों को नियमित अनुसार गेट पर पंचिंग कर ड्यूटी किया जाए, मजदूरों को भी कैंटीन की सुविधा दी जाए अन्यथा खाने की पैसा दी जाएं, सभी मजदूर 20 साल से कार्य कर रहे, उसकी योग्यता अनुसार वेतनमान बढ़ोतरी किया जाए, सालाना एयरलिफ्ट छुट्टी नियमित अनुसार मजदूरों को दिया जाए, सभी रिटायर हुए मजदूर के बदले में उनके बेटे को काम पर रखा जाए, सालाना इंक्रीमेंट गवर्नमेंट एवं वेंडर द्वारा किए जाने वाला इंक्रीमेंट अप्रैल महीना से अभी तक नहीं हुआ है उन्हें किया जाए, मजदूरों को पॉलिथीन में खाना नहीं दिया जाए, मजदूरों को साफ सुथरा केन की सुविधाओं से सभी को खाना दिया जाए। उन्होंने आगे कहा कि उषा मार्टिन से टाटा स्टील लिमिटेड मैं स्थानांतरित हुए उन 45 मजदूर का आज तक 2008 से 2013 तक का ग्रेजुएट पेमेंट नहीं मिला है। उन मजदूरों को टाटा स्टील प्रबंधक उचित जांच कर उसे अभिलंब भुगतान की जाए। मजदूर ड्यूटी जाने के बाद पंचिंग होने पर उन मजदूरों को हाजिरी नहीं दिया जा रहा है उन मजदूरों को पैसा कटौती न किया जाए और 26 दिन ड्यूटी दिया जाए। साथ ही सभी मजदूरों को सेफ्टी इक्विपमेंट टाइम पर दिया जाए और सालाना इंक्रीमेंट योग्यता अनुसार पेमेंट बढ़ोतरी किया जाए। इन समस्याओं का समाधान 15 दिनों के अंदर न होने पर अन्यथा झारखंड मजदूर यूनियन मजबूरन मजदूर हित में बाध्य होकर आंदोलन का रूप रेखा निर्णय लेने में मजबूर होंगे। जिसका पूरी जिम्मेदारी टाटा स्टील लिमिटेड मैन प्रबंधन की होगी।