पोस्टमास्टर बना ‘पोख्ता ठग’!

 पोस्टमास्टर बना ‘पोख्ता ठग’!


गुवा डाकघर में फर्जी एफडी स्कैम से उड़ा करोड़ों रुपया, दर्जनों गरीब परिवार बरबाद


संतोष वर्मा

Chaibasa ः गुवा मुख्य बाजार स्थित भारतीय डाकघर में करोड़ों रुपये के फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) घोटाले ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। यह घोटाला तब सामने आया जब ग्राहकों ने अपनी पासबुक चेक करानी शुरू की और पाया कि उनकी मेहनत की कमाई डाकघर में कहीं दर्ज ही नहीं है। कथित रूप से यह घोटाला गुवा डाकघर के तत्कालीन पोस्टमास्टर विकास चंद्र कुईला द्वारा अंजाम दिया गया है, जो अब फरार है। फिलहाल इस घोटाले में कम से कम 35 ग्राहकों के करीब 2 करोड़ रुपये की ठगी सामने आई है, लेकिन आशंका है कि यह आंकड़ा और भी बड़ा हो सकता है। ग्राहक समझते रहे जमा हो रहा पैसा, पोस्टमास्टर करता रहा खेल। इस ठगी की पोल तब खुली जब पिछले महीने (जून 2025) में नये पोस्टमास्टर विवेक आनंद ने ड्यूटी जॉइन की। कुछ ग्राहक पासबुक लेकर फिक्स डिपॉजिट का स्टेटस जानने आए।

लेकिन विवेक आनंद ने जांच कर पाया कि पासबुक नकली हैं और उन खातों का कोई भी रिकॉर्ड गुवा ब्रांच में मौजूद नहीं है। उन्होंने तुरंत अलर्ट जारी किया। इसके बाद तो जैसे भूचाल आ गया। लोग एक-एक कर पासबुक लेकर पहुंचने लगे और सच्चाई का सामना करते ही उनके होश उड़ गए। अब तक जिन 35 ग्राहकों का नाम सामने आया है, उनमें कई बुजुर्ग, महिलाएं और मजदूर वर्ग शामिल हैं।



मुन्नी देवी: 2 लाख रुपये की फिक्स डिपॉजिट,अनिल कुमार की माँ: 98 हजार रुपये,ठक्कर परिवार: दयालाल, अनिल, जितेन्द्र, निलेश और हरिश—पांचों भाइयों ने कुल 6 लाख रुपये जमा किए थे। इन सभी का पैसा उड़ चुका है। हर कोई सदमे में है। सूत्रों के अनुसार, विकास चंद्र कुईला पर पहले से भी अनियमितताओं के आरोप थे। उसे गुवा से स्थानांतरित कर चिड़िया डाकघर भेजा गया था। लेकिन उसने वहां योगदान ही नहीं दिया और सीधे फरार हो गया।



पोस्टल विभाग की लापरवाही और समय पर कार्रवाई न करना भी इस घोटाले का एक बड़ा कारण बनकर सामने आ रहा है। ग्राहक सवाल कर रहे हैं कि अगर भारतीय डाक जैसा सरकारी संस्थान भरोसेमंद नहीं रहा, तो आम आदमी अपनी मेहनत की कमाई कहां रखे,नकली पासबुक कैसे छप गईं,फर्जी फिक्स डिपॉजिट रसीदें बनने तक किसी को कैसे खबर नहीं लगी,इस पूरे षड्यंत्र में और कौन-कौन शामिल था। अब तक न तो विभागीय जांच शुरू हुई है, न ही पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज की है। जबकि घोटाले की पुष्टि गुवा पोस्टमास्टर खुद कर चुके हैं। पीड़ितों का कहना है कि यह केवल पोस्टमास्टर विकास कुईला का नहीं, बल्कि विभागीय लापरवाही और मिलीभगत का मामला भी हो सकता है। 



दो करोड़ की ठगी और भी नाम सामने आने की संभावना है। 35 पीड़ितों की सूची में और नाम जुड़ सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, पोस्टमास्टर कुईला ने साल 2021 से 2024 के बीच ग्राहकों को फिक्स डिपॉजिट के नाम पर फर्जी पासबुक दिए और पैसे सीधे खुद के कब्जे में ले लिए।फिघलहाल गुवा डाकघर में अफरा-तफरी का माहौल है। लोग डरे हुए हैं और अपने पासबुक चेक करवा रहे हैं। इस संबंध में गुवा डाकघर के वर्तमान पोस्टमास्टर विवेक आनंद ने मीडिया से बातचीत में बताया मैंने जून 2025 में योगदान दिया। तभी कुछ ग्राहक पासबुक लेकर आए थे। पहली ही नजर में पासबुक फर्जी लगी। जांच करने पर पाया कि उन पासबुक में दर्ज राशि का कोई रिकार्ड हमारे डाकघर में नहीं है। अब तक 35 ऐसे केस मिल चुके हैं। ग्राहकों का कहना है कि हमने वर्षों की कमाई बचा-बचाकर भविष्य के लिए फिक्स किया था। अब पोस्टमास्टर पैसे लेकर भाग गया। हमारी मांग है कि डाक विभाग और सरकार दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करे और हम सभी का पैसा ब्याज समेत वापस किया जाए। घटना को लेकर सोशल मीडिया पर लोग जमकर भड़ास निकाल रहे हैं। ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सऐप ग्रुप में 'गुवा पोस्ट ऑफिस स्कैम' हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। स्थानीय ग्रामीण और सामाजिक संगठन अब एकजुट होकर थाना में सामूहिक प्राथमिकी दर्ज कराने की तैयारी में हैं। गुवा थाना पुलिस पर भी दबाव बन रहा है कि वह फरार पोस्टमास्टर की गिरफ्तारी सुनिश्चित करे। गुवा डाकघर स्कैम अब पूरे झारखंड में चर्चा का विषय बन चुका है। सवाल यह नहीं कि पैसे कैसे उड़ गए, सवाल यह है कि सिस्टम इतना लाचार क्यों है कि एक आदमी महीनों तक फर्जी पासबुक बनाता रहा, लोगों से पैसे लेता रहा, और कोई जांच नहीं हुई। भारतीय डाक जैसी संस्थाएं तब तक विश्वसनीय हैं जब तक वहां ईमानदार लोग बैठते हैं। लेकिन गुवा कांड ने दिखा दिया कि जब चौकीदार ही चोर बन जाए, तो जनता कहां जाए। अब यह देखना बाकी है कि डाक विभाग, पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार इस घोटाले पर कब तक चुप रहते हैं। क्या पीड़ितों को उनका हक मिलेगा? या यह मामला भी बाकी घोटालों की तरह फाइलों में दफ्न हो जाएगा। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि विकास चंद्र कुईला की तत्काल गिरफ्तारी,उच्चस्तरीय जांच कमिटी का गठन,सभी ग्राहकों की राशि की वापसी,डाक विभाग की आंतरिक जांच और लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई तथा भविष्य में इस प्रकार की ठगी से बचाव हेतु तकनीकी सुधार की जाए।

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