दो दिनों से जंगली हाथियों के दहशत में नवागांव के ग्रामीण,नहीं आया वन विभाग तो 40 ग्रामीणों ने स्वयं लाठी-डंडे लेकर संभाला मोर्चा

दो दिनों से जंगली हाथियों के दहशत में नवागांव के ग्रामीण,नहीं आया वन विभाग तो 40 ग्रामीणों ने स्वयं लाठी-डंडे लेकर संभाला मोर्चा

धान की फसल बचाने को ट्रैक्टर से आये किसान

santosh verma

Chaibasa : झींकपानी प्रखंड के नवागांव, जो घने जंगलों के नजदीक बसा है, में दस जंगली हाथियों ने पिछले बीस घंटे से उत्पात मचाया हुआ है। रविवार को घने जंगलों से निकल करीब दस हाथियों का यह झुंड नवागांव के नजदीक पहुंच गया। फिलहाल गजराजों का यह समूह गांव के नजदीक ही एक जंगल में शरण लिया हुआ है। इससे जहां आसपास के खेतों की फसल व सब्जी बागान आदि खतरे में आ गये हैं, वहीं ग्रामीण भी अनहोनी की आशंका से दहशत में आ गये हैं। ग्रामीण पटाखा व बड़े टॉर्च लिये रातभर जंगल के मचानों से फसल की निगरानी करते रहे।

फिर सोमवार सुबह रणनीति बनाकर  करीब चालीस ग्रामीणों का दस्ता ट्रैक्टर में सवार होकर मौके पर गया जहां हाथी ठहरे हुए हैं। फिर हाथियों को गांव से दूर वापस जंगलों की ओर खदेड़ने की कार्यवाही शुरू की गयी। ताकि हाथियों से जानमाल की रक्षा हो सके। किसानों ने बताया कि हाथियों ने कुछ खेतों में धान की फसल को नुकसान पहुंचाया है। हालांकि ग्रामीणों की सजगता से बड़ा नुकसान अभी नहीं हुआ है। हाथियों को फिलहाल खदेड़कर एक छोटे से जंगल में सीमित कर दिया गया है। सारे हाथी अभी यहीं ठहरे हुए हैं। वहां से उनको खदेड़ने में थोड़ी कठिनाई आ रही है। किसानों ने बताया कि वन विभाग की ओर से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है। 

धान की बाली की जगह अब फसल भी खा रहे हाथी

वागांव के किसानों ने बताया कि पहले जंगली हाथी आते थे तो सिर्फ धान की बालियां ही खाते थे। लेकिन आजकल हाथी धान की ऐसी फसल को भी खा जा रहे हैं जिसमें अभी धान की बालियां निकली ही नहीं है। फिर भी हाथी इसे भी निशाना बना रहे हैं। पहले हाथी धान खाने तब आते थे जब धान में बालियां निकल आयी हों। हाथियों की इस नयी आदत से किसान हैरान और परेशान भी हैं। क्योंकि केवल धान की फसल जिसमें बालियां नहीं आयी हैं, उसके लिये बीमित राशि का दावा भी मान्य नहीं है। ऐसे में हमें बीमा का नुकसान भी हो रहा है। वन विभाग को इस नयी समस्या पर ध्यान देने की जरूरत है।

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