जनप्रतिनिधियों के साथ और उपायुक्त के बीच दूरी बनाने में हर्ष की भूमिका से इनकार नहीं किया जा रहा है। सुत्र

 जनप्रतिनिधियों के साथ और उपायुक्त के बीच दूरी बनाने में हर्ष की भूमिका से इनकार नहीं किया जा रहा है। सुत्र



जिला प्रशासन में एक छत्र राज है कुमार हर्ष का, इनके आगे सबकी बोलती बंद हो जाती है। सूत्र

आदिवासी समाज के लोग हर्ष हटाओ अभियान चलाने के मूड में हैं। सुत्र

क्लास वन ऑफिसर भी हर्ष के आगे नतमस्तक नजर आते हैं। सुत्र

सभी बीडीओ और सीओ श्री हर्ष के विश्वास पात्र बनने की होड़ में लगे रहते हैं, क्या कारण है, सवाल का जवाब से डीसी तक सकते में आ सकते हैं। सुत्र

कार्यपालक दंडाधिकारी सह गोपनीय प्रभारी की चलती के आगे वरीय अधिकारी भी बौने साबित हो रहे हैं।

Chaibasa ः पश्चिमी सिंहभूम जिला में जिला प्रशासन को अपने इशारे पर चलाने वाले कार्यपालक दंडाधिकारी सह गोपनीय प्रभारी श्री कुमार हर्ष इन दिनों अपने कार्यशैली से सुर्खियों में हैं. हां यह वही कुमार हर्ष हैं जो लगभग बिना CL यानि छुट्टी लिए अवकाश काल का वेतन भुगतान लेने की चर्चा जोरों पर है। सूत्रों की माने तो पिछले तीन चुनाव में एक एक महीना जिला से अनुपस्थित रहे साथ ही परीक्षा की तैयारी के नाम पर भी अनुपस्थित रहे, इसकी संपुष्टि निगरानी जांच होने से उजागर होने की संभावना है. उस दौरान मोबाइल का लोकेशन ट्रेस एवं कॉल डिटेल से सत्यता सामने आने की बात कही जा रही है, जो जांच होने पर खुलासा हो सकता है.सूत्रों की माने तो आदिवासी सामाजिक संगठन इनके विरुद्ध मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मिलकर शिकायत दर्ज कराने वाले हैं. जिला के आदिवासी संगठनों का मानना है कि हाल के दिनों में उपायुक्त चंदन कुमार और मानकी मुंडा के बीच मतभेद और सामंजस बिगाड़ने में श्री हर्ष की भूमिका बताई जा रही है ऐसी चर्चा बनी हूई है.सूत्र बताते हैं कि जिला में हर्ष की चलती इतनी ज्यादा है कि जिला के पदाधिकारी उनके जी हजूरी करने तक मजबूर हैं. आदिवासी संगठन एवं गैर सामाजिक संगठन के द्वारा कार्मिक विभाग के सचिव से गलत ढ़ंग से वेतन भुगतान लिए जाने की जांच की मांग करने वाले हैं. वहीं दूसरी ओर श्री हर्ष की आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने की भी शिकायत मुख्यमंत्री से की जाने की चर्चा हो रही है. प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि आज जिला में उपायुक्त चंदन कुमार के रौब और रुतबा से भी आगे चल रहे हैं. सूत्रों के अनुसार अभियंता और पदाधिकारी इनके इजाजत के बिना डीसी से नहीं मिल सकते हैं.

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