चाईबासा ( संतोष वर्मा ) : मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के मतकमहातु गांव के रैयतों ने उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर उद्यागपति बनवारी लाल नेवटिया के कब्जे से जमीन वापस दिलाने की मांग की है। रैयत डीबर देवगम, भगवान देवगम, चाहत देवगम तथा विजय देवगम ने बुधवार को उपायुक्त अनन्य मित्तल से मुलाकात कर इस संबंध में उनको एक ज्ञापन सौंपा। कोल्हान भूमि बचाओ समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सावैयां ने उनका नेतृत्व किया। ज्ञापन में रैयतों ने कहा है कि उद्योगपति बनवारी लाल नेवटिया ने टुंगरी में उनकी जमीन पर तीस वर्षों से अवैध ढंग से कब्जा कर रखा है। इस जमीन पर उनकी एक फैक्ट्री स्थापित थी जो अब बंद हो चुकी है।
रैयतों ने ज्ञापन में कहा है कि नेवटिया को यह जमीन उनके पूर्वजों ने पांच सालों की लीज पर दी थी। लेकिन बाद में फर्जी कागजात बनवाकर जमीन पर कब्जा कर लिया। रैयतों ने कहा है कि उन्होंने इंसाफ के लिये अंचल कार्यालय तथा जिले के आला अधिकारियों से भी लिखित शिकायत की थी। लेकिन इसका नतीजा सिफर ही रहा। ज्ञापन में रैयतों ने उपायुक्त से बीस दिनों के अंदर कार्लवाई सुनिश्चित करने व मुआवजा दिलाने की मांग की है। साथ ही ऐसा नहीं होने पर पारंपरिक हथियारों के साथ बलपूर्वक उक्त जमीन कब्जाने की धमकी भी दी है। इधर, कोल्हान भूमि बचाओ समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सावैयां ने बताया कि रैयतों की इस जमीन को कब्जे से मुक्त करने के लिये कई बार उपायुक्त तथा सदर अंचल कार्यालय को ज्ञापन दिया गया था। लेकिन कार्रवाई नहीं हो रही है जो दुर्भाग्यपूर्ण है। इंसाफ नहीं मिला तो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मिलकर शिकायत की जाएगी।
फर्जी कागजात बनवा कर 53 डिसमिल जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत
चाईबासा : मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के मतकमहातु निवासी चाहत देवगम पिता स्वर्गीय प्रधान देवगम ने उपायुक्त से उनकी पुश्तैनी एसटी जमीन पर अवैध ढंग से कब्जा किये जाने की लिखित शिकायत की है। उन्होंने इस संबंध में बुधवार को उपायुक्त को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में चाहत देवगम ने कहा है कि मतकमहातु दिरीगोड़ा (टुंगरी)में उनकी 53 डिसमिल पुश्तैनी जमीन है। जिसका खाता संख्या 380, प्लॉट संख्या 1192 तथा 1208 की कुल 0.53 डिसमिल है।यह सीएनटी एक्ट के अधीन आदिवासी जमीन है। लेकिन बुजुर्ग महिला सेवति गौड़ तथा विराज गौड़ ने इस जमीन अवैध ढंग से कब्जा कर लिया है। इसके लिये इन वृद्ध महिलाओं ने कालीचरण दास नामक व्यक्ति की मदद से सदर के भ्रष्ट अंचलकर्मियों से फर्जी कागजात बनवाया है। इसी के आधार पर वे इस जमीन को अपना बता रही हैं। उनका दावा है कि उन्होंने यह जमीन एक आदिवासी महिला से खरीदी है। जबकि दोनों क्रेता गौड़ जाति से आती हैं। सीएनटी एक्ट के मुताबिक ऐसे में कानून खरीद बिक्री असंभव है। क्योंकि यह अधिनियम केवल एक ही थाना क्षेत्र के आदिवासी क्रेता-विक्रेता के बीच खरीद-बिक्री की अनुमति देती है। फर्जी कागजात बनाने में सदर अंचल कार्यालय के भ्रष्ट पदाधिकारी तथा कर्मचारियों की भी मिलीभगत है। इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और इस जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कर उनको वापस दिलाया जाए।