जमशेदपुर के विकास अग्रवाल द्वारा यूसील के अध्यक्ष सह प्रबंध निर्देशक डॉ सी के अस्नानी के खिलाफ दर्ज अपराधिक मुकदमा को राची हाई कोर्ट ने किया निरस्त, जादूगोड़ा समेत यूसील कर्मियों में हर्ष


जादूगोड़ा: जमशेदपुर के विकास अग्रवाल द्वारा यूसील के अध्यक्ष सह प्रबंध निर्देशक  डॉ  सी के अस्नानी  के खिलाफ  दर्ज अपराधिक मुकदमा को राची हाई कोर्ट ने बीते  21 नवंबर को हुई सुनवाई के बाद  पूरी केस को  दो दिन बाद निरस्त कर दिया।जिसकी कॉपी कंपनी के वकील ने कंपनी प्रबंधन को भेजी है।इसकी जानकारी यूसील के उप महाप्रबंधक ( कार्मिक) राकेश कुमार ने दी। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले  अन्य दो अधिकारियों का  केस को निरस्त करने की लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गए है।जिस पर आगे कोर्ट के फैसले का इंतजार है। पहली याचिका कंपनी के सी एम डी  श्री अस्नानी पर सुनाई हुई व उनके उनके पक्ष में फैसला आया व रांची हाई कोर्ट ने यूसील के सी एम डी श्री अस्नानी के खिलाफ  दायर केस को  निरस्त कर दिया है।

जिससे कंपनी की राहत की सास ली है। इधर हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद जादूगोड़ा समेत पूरे  यूसील कर्मियों में हर्ष व्याप्त है। यहां बताते चले कि जमशेदपुर के व्यापारी विकास अग्रवाल का यूसील में दवा आपूर्ति का ठेका मिला था।कंपनी की शर्तों को पूरा नहीं करने के एवज  में  कंपनी ने ठेका कंपनी की प्रतिभूति राशि को  जब्त कर  कानूनी कारवाई की  थी।जिसके  खिलाफ जमशेदपुर के व्यापारी विकास अग्रवाल ने 26 अप्रैल को भादवि की धारा 420, 406, 120 बी, 34 के तहत कोर्ट में  शिकायतवाद  दर्ज करवाई थी। 

जिसको लेकर  कंपनी के सी एम डी  डॉक्टर सी के अस्नानी,उप महाप्रबंधक  बी के चक्रवर्ती (लेखा विभाग, यूसील)  व कंपनी के नियंत्रक प्रवीण कुमार को आरोपी बनाया था।जिसको लेकर कंपनी के सी एम डी श्री अस्नानी को  जमानत लेने हाई कोर्ट  जाना पड़ा जहां से उन्हें निचली अदालत जाने का फैसला सुनाया गया।जिसके बाद जमशेदपुर कोर्ट से जमानत मिली। 

पूरे मामले को को निरस्त करने के लिए कंपनी प्रबंधन ने अपने वकील के मार्फत हाई कोर्ट में याचिका दायर की  ।जिसकी शिकायत संख्या 1725 है।इस मामले पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए  कंपनी के सी एम डी श्री अस्नानी के खिलाफ दायर आपराधिक मुकदमा कोर्ट ने सुनवाई के बाद  खारिज  कर दी।इस मामले को 21 नवंबर  हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया व मामले को सुरक्षित रखा व दो दिन बाद 23  नवंबर को  हाई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए  मामले की निरस्त कर दिया। 

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