कोल्हान प्रमंडल में प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा असंवैधानिक तरीके से जमीन अधिग्रहण और हस्तान्तरण के खिलाफ विभिन्न संगठनों द्वारा किया बंद

मुख्यमंत्री का फूंका पुतला और सड़क जाम, लोग परेशान


चाईबासा: कोल्हान प्रमंडल में प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा असंवैधानिक तरीके से जमीन अधिग्रहण और हस्तान्तरण के खिलाफ 31 जुलाई 2024 को "कोल्हान बंदी" चाईबासा, कोकचो भारभरिया मुख्य सड़क और बरकुंडियां पुलिया में बंदी समर्थन व सफल बनाने हेतु बंद करते हुए ईचा खरकई बांध विरोधी संघ कोल्हान, आदिवासी हो सामाज युवा महासभा आदी विभिन्न संगठन के लोग।


आदिवासी संगठनों का कोल्हन बंद, सभी मुख्य सड़कों पर उतरे लोग, टायर जलाकर सड़कों को  किया जामचाईबासा। भूमि अधिग्रहण, पेसा कानून लागू करने, शिक्षा व्यवस्था, तीतरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहण, मुआवजा राशि का भुगतान नहीं करने, 5 वीं अनुसूची लागू करने, आदिवासियों के धार्मिक व सांस्कृतिक स्थलों के साथ हुई छेड़छाड़ एवं अन्य विभिन्न मुद्दों को लेकर विभिन्न आदिवासी सामाजिक संगठनों द्वारा बुधवार को पूरे कोल्हान में चक्का जाम कर दिया गया।

सरायकेला-टाटा सड़क, बाज़ार हुए बंद


सड़कों पर उतरे बंद समर्थक


पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, पूर्वी सिंहभूम जिले के कुछ क्षेत्र व अन्य प्रखंडों के मुख्य सड़कों पर संगठन के लोग उतरे और टायर जला कर अहले सुबह से ही सड़क जाम कर दिया. चाईबासा शहर के बस स्टैंड, तांबो चौक आदि मुख्य सड़कों पर जगह-जगह टायर जलाकर आदिवासी संगठन द्वारा वाहनों को रोक दिया गया है। कई जगहों पर सड़क के बीचों बीच भारी वाहनों व ट्रैक्टर को खड़ा कर सड़क जाम कर दिया गया। वंही ईचा खरकाई बांध विरोधी संगठन के लोगों ने तांबो चौक पर उतरे और टायर जलाकर विरोध किया। कोल्हान बंद के आह्वान के कारण बस स्टैंड से एक भी बसों का परिचालन नही हुआ। जिस कारण से यात्री परेशान रहे. बस स्टैंड की लगभग दुकाने भी बंद रहीं।

सड़क पर आग लगाकर किया जाम

बंद समर्थक माधव चंद्र कुंकल ने बताया कि तीतरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहण कर सड़क बनाए जाने का आदिवासी समाज पर जोर विरोध करता है। विकास के नाम पर आदिवासियों की जमीन हड़पना नहीं चलेगा। झारखंड राज्य में जल्द से जल्द पेसा कानून लागू कर देना चाहिए जो 1996 पी पेसा कानून बना लेकिन लागू नहीं हुआ। पी पैसा आदिवासियों का सुरक्षा कवच है। आजादी के बाद से आदिवासी बहुत क्षेत्र में पांचवी अनुसूची लागू है। उसके बावजूद भी केंद्र एवं राज्य सरकार इसे शक्ति से लागू नहीं कर रही है।


आदिवासियों की जमीन व जल जंगल जमीन को बचाने के लिए पांचवी अनुसूची लागू करवाना जरूरी है। जबकि राज्य व केंद्र सरकार पेसा कानून को लागू नही कर रहे हैं। तीतरबिला गांव में जिला प्रशासन द्वारा जबरन जमीन अधिग्रहण करने को लेकर ग्रामीणों के साथ हुए मारपीट के विरोध में आज कोल्हान बंद किया गया है।

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