ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय में अब भी जेल में बंद बिरेंद्र राम के कार्यकाल को याद किया जा रहा है
कमिशन वसुली के कारण फरवरी का टेंडर को आज तक निष्पादित नहीं किया गया
चाईबासा/संतोष वर्मा: झारखंड सरकार के गलत नीति और भ्रष्ट कार्यशैली के कारण ग्रामीण कार्य विभाग में छः महीने से मुख्य अभियंता राम प्यारे प्रसाद ने निविदा प्रक्रिया को लटका कर रखा है। हां यह वही राम प्यारे प्रसाद है, जिस पर ईडी सीबीआई की नज़र है। हां यह वही मुख्य अभियंता हैं,जिसकी चर्चा संजीव कुमार लाल के नजदीकी और खास होने की चर्चा है।
हां यह वही राम प्यारे प्रसाद है जो सीएस अनुमोदन यानी संवेदक को कार्य आवंटित किए जाने में विभागीय मंत्री आलमगीर आलम के नाम पर वसूली करने की चर्चा जोरों पर थी,लेकिन अब तक अवैध वसूली करने के आरोप में राम प्यारे प्रसाद को आज तक कोई भी जांच एजेन्सी समन जारी नहीं किया गया है,जिसके कारण आज भी मुख्य अभियंता कार्यालय में भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
मालूम हो कि कमिशन वसुली के कारण फ़रवरी का टेंडर को आज तक निष्पादित नहीं किया गया है। विडंबना यह है कि पुराने योजना का निपटारा नहीं किया जा रहा है, यानी पहले के टेंडर को फाइनल नहीं कर नया डीपीआर बनाई जा रही है। राम प्यारे प्रसाद का आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज किया जा सकता है, इस सम्बद्ध में माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने की चर्चा जोरों पर है। राम प्यारे प्रसाद के विकास विरोधी रवैया अपनाने से हेमन्त सोरेन सरकार के विकास के बढ़ते कदम पर बेड़ी लगाने का काम किया जा रहा है।
मुख्य अभियंता के द्वारा टेंडर को समय पर निष्पादन नहीं करने के कारण आसन विधानसभा चुनाव में आचार संहिता के घेरे में आ सकता है। राम प्यारे प्रसाद के द्वारा समय पर प्राक्कलन की तकनिकी स्वीकृति देने में भारी विलम्ब किए जाने की भी चर्चा जोरों पर है। ग्रामीण कार्य विभाग के मुख्य अभियंता राम प्यारे प्रसाद के कार्यशैली से विभागीय मंत्री श्री इरफान अंसारी के द्वारा माननीय लोगों के अनुशंसा पर सड़क और पुल निर्माण कार्य धरातल पर उतरना संभव होता नहीं दिख रहा है।