कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आदिवासी सेंगेल अभियान के सरायकेला जिला संरक्षक सुगनाथ हेंम्ब्रोम भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि शुदखोरी महाजनी अंग्रेज के खिलाफ 1855 में सिद्धू कान्हू के नेतृत्व में जो क्रांति हुई थी उसे हूल दिवस के रूप में जाना जाता है। हासा, भाषा को बचाने के लिए यह क्रांति हुई थी।
मौके में उपस्थित लोगों ने हासा, भाषा, रोजगार को बचाने के लिए संकल्प लिया। इससे पहले सभी ने सिद्धू कान्हू के चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया एवं उनके प्रति आस्था जताया।
सागेन टुडू, दिकू हेंम्ब्रोम, शंखों टुडु, सांकर बास्के, सोमरा हंसदा, सुनिल किस्कू, दसमत टुडू, घसीराम मुर्मू, गोपाल हेम्ब्रोम, बबलु हेंब्रम, बुधन हंसदा, मझिया टुडू, होपना मुर्मू, कुमारी हीरा मार्डी, रानी हंसदा, लक्ष्मी मर्डी, शान्ति कुई सहित रुंगटा कंपनी के मजदूर कार्यक्रम में उपस्थित थे।