सभी एजेंसी एक साथ टेंडर का डेट रखे जाने से टेंडर मैनेज करने का खेल होने से इन्कार नहीं
डीएमएफटी की योजना में जिला प्रशासन की भूमिका पर सवाल,भाजपा टेंडर मैनेज के खेल को चुनावी मुद्दा बना सकती है
चाईबासा/संतोष वर्मा: पश्चिमी सिंहभूम जिला में दबंग और राजनितिक संरक्षण प्राप्त ठिकेदार की टीम जिला के ठेकेदारी पर कब्जा जमाने के लिए माननीय का सहारा ले कर कमज़ोर संवेदकों के रोज़गार को हथियाने यानी मैनेज करने कोशिश कर रहे हैं।जबकि ग्रामीण संवेदक अपने स्थानीयता के आधार पर निविदा में भाग लेने का निर्णय लिया है,वहीं शहर के दबंग ठिकेदार अपने राजनितिक पकड़ और राजनितिक संरक्षण के कारण निविदा मैनेज के नाम पर स्थानीयता को ताक में रखकर माननीय के सहारे निविदा पर कब्जा जमाने के चक्कर में हैं।
टेंडर मैनेज का सीधा संबंध कमिशन वसुली से है, जिस में आर्थिक रूप से स्थानीय संवेदक पिछड़ जाते हैं,जिसका लाभ शहर के दबंग ठिकेदार माननीय को खड़ा कर स्वार्थ सिद्ध करने में सफल हो जाते है। विदित हो कि पूर्व सांसद गीता कोड़ा ने डीएमएफटी की योजना में घोटाला और कमिशन वसुली का मामला को उठाते हुए जांच कराने की बात पूर्व में कही है। भाजपा इस टेंडर मैनेज का खेल को मुद्दा बनाकर चुनाव में सत्ता पक्ष को घेरने की रणनीती बनाने की सुचना है। खास कर कोड़ा दंपति इस मामला को गंभीरता से लेने की चर्चा है। एक साथ टेंडर का डेट किसके कहने पर एजेन्सी निर्धारित किया है, जॉच का विषय है, जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।
शुद्धि पत्र में भी एक ही डेट पर जानबूझ कर किया जाना,एक साजिश के तहत किया गया है। भाजपा जिला कमिटी के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से बताया गया है कि संवेदक का निबंधन पूरे झारखंड कार्य क्षेत्र का होता है, किसी बिचौलिया ठिकेदार के कहने से टेंडर डालने से रोका नहीं जा सकता है, रोज़गार एक मौलिक अधिकार है।इसलिए पुरे झारखंड से टेंडर में हिस्सा लेने के लिए स्वतंत्र हैं।